नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसके शासन काल में ‘विपरीत भूदान’ आंदोलन चलता रहा और चीन एवं पाकिस्तान को देश की ज़मीन दी जाती रही। उन्होंने कहा कि अब केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार किसी को भी देश की इंच भर ज़मीन हड़पने नहीं देगी।
माधव ने कल देर शाम यहां पांचजन्य एवं ऑर्गनाइज़र द्वारा भारत चीन संबंधों पर आयोजित एक वेबिनार में यह बात कही। माधव ने कहा कि भाजपा एकमात्र पार्टी है जिसने एक विचारधारा का अनुसरण किया और देश की अखंडता के लिए बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने खंडित भारत की अखंडता के लिए पहला बलिदान दिया था।
पार्टी में रणनीतिक महत्व के मुद्दों को देखने वाले भाजपा महासचिव ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में देश में एक विपरीत भूदान आंदोलन चला। देश की ज़मीन चीन और पाकिस्तान को दे दो। इसी सदी में सियाचिन को भी पाकिस्तान को देने की कोशिश की गई।
वर्ष 2013 में लद्दाख चुमार क्षेत्र में भारत को बेहद अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। भारत का कद एवं स्थिति दयनीय बना दी गई थी लेकिन आज हम विश्व की अग्रणी पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। अगले दस साल में हम चीन को पीछे छोड़ देंगे इसलिए हमें उस हैसियत के साथ बर्ताव करना होगा।
माधव ने कहा कि हम कोई युद्ध छेड़ने नहीं जा रहे हैं और न ही युद्धोन्माद पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। हम शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत के माध्यम से शांति चाहते हैं लेकिन यह भी सत्य है कि हम श्मशान की शांति नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता दो स्तरीय पहल की है। एक, हम कूटनीतिक एवं सैन्य वार्ताएं करके शांतिपूर्ण समाधान निकालने का प्रयास करेंगे और दूसरा सीमा पर हमारी ज़मीन के लिए हम सक्रियता से अपना दावा करते रहेंगे। हमारा प्रयास होगा कि आखिरी इंच जमीन की रक्षा हो।
उन्होंने कहा कि भारतीय सीमा पर बीते कुछ दशकों में चीनी गतिविधियों से स्पष्ट है कि चीन की सेना और नेतृत्व अपने विचारक सुन त्जू के सिद्धांत पर चल रहा है कि युद्ध छेड़े बिना भूमि पर अधिकार करते चलो। उन्होंने कहा कि चीन इसीलिए जानबूझ कर वास्तविक नियंत्रण रेखा के स्पष्ट रेखांकन की बात से सदा ही मुकरता आया है। हर पांच साल में सीमा संबंधी एक समझौता अपने कुटिल इरादों को छिपाने के लिए करता आया है।
इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल ने कहा कि लद्दाख में सैन्य टकराव भारत एवं चीन की जनता के बीच टकराव नहीं है। यह दरअसल विचारधाराओं का टकराव है। विस्तारवाद एवं अधिनायकवाद पर चलने वाले चीन के गुण उसका झूठ, छल कपट एवं धोखेबाजी है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व, सेना एवं समाज, तीनों की एकजुटता एवं सामन्जस्य अच्छा है। समाज जागरूक है और किसी के बहकावे में नहीं आ सकता है।
कार्यक्रम में भारतीय सेना के पूर्व उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि 15 जून को चीन का झूठ और फरेब टूट गया। दोनों देशों के बीच भरोसा टूटा है, उसकी भरपाई निकट भविष्य में नहीं हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को चीन से निपटने के लिए लद्दाख स्काउट्स को विस्तार देने एवं मजबूत बनाने की जरूरत है।
उन्होंने शहीद सैनिकों के परिजनों को अनुग्रह राशि 35 लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए करने का भी आग्रह किया। सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख रह चुके सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल बी एस जायसवाल ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीयत पर सवाल उठाए और कहा कि अंदरूनी दबावों के कारण वह ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने चीन को कूटनीतिक रूप से विश्व में अलग थलग करने तथा साइबर हमले से निपटने की तैयारी करने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम में सेना, नौसेना, वायुसेना के सेवानिवृत्त कमांडरों, विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने उपयोगी विचार साझा किए। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर और ऑर्गनाइज़र के संपादक प्रफुल्ल केतकर कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे।