नई दिल्ली। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध भरत नाट्यम नृत्यांगना गीता चंद्रन ने 21 दिन तक अपने घर में रहकर घरेलू उपचार से ही कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत ली है और वह अब पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं।
इसी तरह हिंदी की चर्चित लेखिका वन्दना राग भी कोरोना से लड़ कर स्वस्थ हुई हैं। उन्होंने फेसबुक पर कोरोना से अपनी इस लड़ाई की पूरी कहानी लिखी है।
नाट्य वृक्ष संस्था की अध्यक्ष एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कालेज से शिक्षा प्राप्त गीता चंद्रन ने शुक्रवार को फेसबुक पर लिखा है कि उन्हें पांच जून को बुखार आया । डॉक्टरों ने उसे सामान्य बुखार समझा पर जब छह जून को उनकी जीभ का स्वाद भी खत्म हो गया तो उन्होंने कोरोना का टेस्ट कराया जिससे पता चला कि वह इस रोग से संक्रमित हैं।
इसके बाद उन्होंने घर पर रहकर ही खुद को क्वारन्टीन किया और घरेलू उपचार करती रहीं। इसके अलावा वह रोज अपने बुखार की निगरानी करती रही और ऑक्सीमीटर मशीन से अपने फेफड़े में ऑक्सीजन के स्तर को भी जांचती रही।
गीता चंद्रन ने अपनी पोस्ट पर यह भी लिखा है कि पिछले 10 दिन से उन्हें अब बुखार नहीं है और उनका स्वाद भी अब लौट चुका है। अब वह अपनी ताकत फिर से अर्जित कर रही है। उन्होंने यह भी लिखा है कि दिल्ली सरकार ने उन्हें फोन पर सूचित किया है कि उनके क्वॉरंटीन की अवधि पूरी हो गई है।
चंद्रन ने यह भी कहा है कि भले ही वह स्वस्थ हो गई हो लेकिन वह सावधानियां बरत रही हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह इस रोग को लेकर डरे नहीं और ना घबराएं तथा सकारात्मक ढंग से उसका मुकाबला करें और साबुन से हाथ धोते रहें। हल्दी दूध तथा विटामिन सी लेते रहे और सारी सतर्कताओं का पालन करें। एक दिन वे जरूर कोरोना से लड़कर जीतेंगे, यही घरेलू उपचार है।
‘जुगनू पर बिसात’ उपन्यास से चर्चा में आई लेखिका वन्दना राग ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि तीन से 17 जून तक वह भी कोरोना की चपेट में रहीं और उनके सभी लक्षण बुखार से स्वाद खत्म होने तक पाए गए लेकिन अब वह ठीक है। उन्होंने भी घरेलू उपचार किया।
उन्होंने लोगों से प्राणायाम कर फेंफड़े को मजबूत बनाने की अपील की और विटामिन सी तथा काढ़े का सेवन करने की सलाह दी। उन्होंने लोगों से सावधानियां और सतर्कता बरतने की भी अपील की।