नई दिल्ली। देश की राजधानी कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु के बाद दिल्ली में सबसे ज्यादा संक्रमित की संख्या तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। तीन दिनों से राजधानी में कुछ मामलों में कमी जरूर आई है। जब हालात थोड़ा बहुत काबू में आने लगे तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लगा कि इसका श्रेय कहीं भाजपा न ले जाए। सोमवार को अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राजधानी दिल्ली की जिम्मेदारी पूरी मेरी है। उन्होंने कहा कि इस बार हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनता ने मुझे ही चुना और मुख्यमंत्री बनाया है, मेरा भी फर्ज बनता है दिल्ली वासियों के हर सुख दुख में मैं खड़ा रहूं।
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि महामारी को रोकने के लिए मैं दिन-रात लगा हुआ हूं इसका श्रेय भले ही भाजपा क्यों न ले ले लेकिन मैं दिल्ली वालों के साथ हमेशा रहूंगा। आपको बता दें कि जून के पहले सप्ताह में जब दिल्ली में महामारी बेकाबू होती जा रही थी तब उस समय केजरीवाल गृहमंत्री अमित शाह की शरण में जा पहुंचे थे। केजरीवाल के अनुरोध पर गृह मंत्री अमित शाह ने भी महामारी से निपटने के लिए आनन-फानन में दो-तीन दिन लगातार दिल्ली के बड़े अस्पतालों के आकस्मिक दौरे और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों साथ बैठक कर सख्त तेवर अपनाए थे। अमित शाह के दिल्ली को लेकर महामारी को रोकने के लिए बनाए गए प्लान की वजह से ही दिल्ली में अब कुछ हालात सुधरते दिखाई दे रहे हैं, इसी को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल को लग रहा है कहीं ऐसा न हो इसका श्रेय भाजपा ले जाए।
उपमुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री के महामारी वाले बयान पर अमित शाह ने उठाए सवाल
जून के शुरुआती दिनों में जब दिल्ली में कोरोना से पीड़ित संक्रमितों की संख्या तेजी साथ बढ़ने लगी तब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बयान दिया कि 31 जुलाई तक राजधानी में 5.5 लाख संक्रमित मरीजों की संख्या हो जाएगी। ऐसे ही हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने भी की थी। मनीष सिसोदिया सत्येंद्र जैन के बयान के बाद इसी रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने आक्रामक अंदाज में कहा था कि इन दोनों मंत्रियों ने तो दिल्ली में डर का माहौल पैदा कर दिया था। अमित शाह ने यह भी कहा था कि दिल्ली में 31 जुलाई तक महामारी के 5.5 लाख मामले नहीं होंगे।
दिल्ली में अमित शाह के महामारी को नियंत्रण करने को लेकर मनीष सिसोदिया के पास सफाई देने के अलावा और कोई चारा नहीं रह गया था। सोमवार को सिसोदिया ने कहा कि जून के पहले सप्ताह में दिल्ली में जिस प्रकार से कोरोना के मरीज तेजी के साथ बढ़ रहे थे तो उनको लगा कि 31 जुलाई तक यह आंकड़ा 5 लाख से ऊपर पहुंच जाएगा। अब अमित शाह ने दिल्ली में महामारी रोकने के लिए पूरी तरह कमर कस ली है तभी केजरीवाल को लग रहा है कि दिल्ली की जनता यह न समझें कि महामारी को रोकने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ही सब कुछ कर रही है।
दिल्ली में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सुधार की उम्मीद जागने लगी
राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने न पाए इस को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने त्वरित एक्शन लेते हुए केजरीवाल सरकार को हर सभव मदद करने का एलान किया था। भाजपा सरकार भी नहीं चाहती कि राजधानी में हालात बिगड़े। केंद्र सरकार के द्वारा मिली मदद पर केजरीवाल ने भी इसे स्वीकार किया है। केजरीवाल ने माना कि जून में जब युद्ध स्तर पर काम शुरू हुआ तो केंद्र ने उनकी मदद की है।
दिल्ली सीएम केजरीवाल ने कहा कि हमने पीपीई किट, टेस्टिंग किट,ऑक्सीजन किट, रेलवे कोच, डॉक्टर और नर्स की सुविधा केंद्र सरकार से मांगी, और हमें केंद्र सरकार से मदद मिली है। साथ ही केजरीवाल को राजधानी की जनता को यह भी बताना चाहिए कि आज दिल्ली में कोरोना रोकने के लिए भाजपा की प्लानिंग की वजह से कुछ हालात काबू में हुए हैं। आपको बता दें कि दिल्ली में कोरोना वायरस पर जारी जंग में भाजपा और आम आदमी पार्टी में राजनीतिक लड़ाई भी छिड़ी हुई है। दिल्ली के दोनों पार्टियों के नेता लगातार एक दूसरे पर सोशल मीडिया पर आरोप लगा रहे हैं और क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार