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जिंदगी और सेहत से जुड़े होने के साथ हमें उम्मीद भी जगाते हैं डॉक्टर्स - Sabguru News
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जिंदगी और सेहत से जुड़े होने के साथ हमें उम्मीद भी जगाते हैं डॉक्टर्स

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जिंदगी और सेहत से जुड़े होने के साथ हमें उम्मीद भी जगाते हैं डॉक्टर्स
Importance of doctors in our life in Hindi
Importance of doctors in our life in Hindi
Importance of doctors in our life in Hindi

सबगुरु न्यूज। देश और दुनिया भर में अंग्रेजी के दो शब्द बहुत ही प्रसिद्ध है ‘हेल्थ इस वेल्थ’। यानी आपका स्वास्थ्य सही है तो सब कुछ सही है। लेकिन आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों को बीमारियां जल्दी ही अपनी गिरफ्त में लेती जा रही हैं। खुशहाल जीवन जीने के लिए अच्छी सेहत बहुत जरूरी है। अगर कोई भी इंसान बीमारियों से घिर जाता है तब उसे डॉक्टर याद आते हैं। ऐसे समय में हमें डॉक्टर जिंदगी जीने के लिए हौसला भी देते हैं।

आपने देखा होगा हर घर में छोटी-मोटी बीमारियों के लिए आवाजें सुनाई पड़ती हैं अरे डॉक्टर को नहीं दिखाया क्या, बीमारी आगे बढ़ जाए उससे पहले डॉक्टर को दिखा लो। डॉक्टर के पास जाने से ही आधी बीमारी मनोवैज्ञानिक दृष्टि से लोगों की दूर हो जाती है।‌ आज 1 जुलाई है, इस दिन नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। आइए आज डॉक्टर के त्याग-समर्पण को लेकर कुछ चर्चा की जाए। डॉक्टर हमारे जिंदगी में बहुत ही खास रोल अदा करते हैं। डॉक्टर्स की तुलना भगवान से की जाती है। हमारी सेहत का ध्यान रखने के साथ ही वो हमें कई तरह की बीमारियों से भी दूर रखते हैं।

शायद इसलिए ही इनकी तुलना भगवान से की जाती है। वैसे तो हर एक प्रोफेशन की अपनी महत्वता है लेकिन इनके ऊपर लोगों का जीवन आधारित होने की वजह से ये कुछ ज्यादा ही मायने रखते हैं। मौजूदा समय में पूरा विश्व कोरोना वायरस से महाजंग लड़ रहा है। ऐसे में डॉक्टर्स की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है।‌ डॉक्टर अपनी जान को खतरे में डालकर संक्रमित मरीजों को बचाने के लिए दिन रात लगे हुए हैं। जबकि सही मायने में देश और दुनिया के डॉक्टर इस खतरनाक जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन फिर भी मरीजों को बचाने के लिए हर दिन जूझ रहे हैं।

मरीज-डॉक्टर दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं

डॉक्टर एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें मरीजों का साथ पूरे जीवन भर बना रहता है। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे ही कह जाते हैं। डॉक्टरी ऐसे होते हैं जो गंभीर से गंभीर मरीजों को बचाने के लिए जुटे रहते हैं।‌ अगर डॉक्टर हिम्मत हार गए तो समझो मरीज भी नाउम्मीद हो जाता है।‌ चिकित्सक ही अपनी जिंदगी भूल कर मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं।‌ जिंदगी का सुनहरा पल उनके हाथ से कब निकल जाता है, पता ही नहीं चलता है। यहां आपको बता दें कि कोरोना के संकट काल में भी चिकित्सकों ने पूरी दुनिया को एक आशा की उम्मीद बंधा रखी है।

दुनिया के हर देश में पहुंचे कोरोना से लड़ने के लिए इन फ्रंटलाइन डॉक्टर्स की हजारों कहानियां है। त्याग, समर्पण और संघर्ष की इन कहानियों में ही जिंदगी की उम्मीदें जगमगा रही हैं, क्योंकि इस 2020 के डॉक्टर्स डे पर ऐसा लगता है कि हमारा हर दिन डॉक्टर्स की मेहरबानी पर है। आज का दिन दिन-रात जुटे उन डॉक्टर्स को सम्मान करने का है जिनके लिए कोरोना वायरस को हराना ही एकमात्र लक्ष्य है। यह खास दिन उन तमाम डॉक्टरों को समर्पित है जो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे इंसानों का न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि एक नया जीवन भी देते हैं।

वर्ष 1991 से डॉक्टर्स डे मनाने की हुई थी शुरुआत

भारत में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे यानी राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने साल 1991 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी, जिसके बाद से हर साल इस दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता रहा, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के चलते नेशनल डॉक्टर्स डे थीम की घोषणा नहीं की जा सकी। आइए आपको बताते हैं डॉक्टर्स डे क्यों और किसकी याद में मनाया जाता है। एक जुलाई को डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है, उन्हें उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए बंगाल का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है।

साल 1961 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। उन्हीं की याद में तत्कालीन केंद्र सरकार ने साल 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का एलान किया था, तब से हर साल एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है। नेशनल डॉक्टर्स डे मनाते हमें 29 वर्ष पूरे हो गए हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टर्स डे के अवसर पर तमाम देश भर के स्वास्थ्य कर्मियों को शुभकामनाएं भी दी है। यही नहीं पीएम मोदी अपने राष्ट्र के संबोधन में हर बार इस महामारी से लड़ने के लिए डॉक्टर्स का हौसला बढ़ा रहे हैं। डॉक्टर डे अवसर पर कोरोना को हराने के लिए जूझ रहे लाखों चिकित्सकों का हौसला बढ़ाएं साथ ही उनके त्याग और समर्पण के लिए उन्हें याद करें।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार