कोलम्बो। भारत में हुए 2011 एकदिवसीय विश्व कप फाइनल के फिक्स होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है और तत्कालीन श्रीलंकाई खेल मंत्री महेंद्रानंद अलुथगमागे के फाइनल फिक्स होने के आरोप बेबुनियाद साबित हुए हैं जिसके बाद इस मामले में जांच को बंद कर दिया गया है। भारत ने फाइनल में श्रीलंका को हराकर खिताब जीता था।
विश्व कप फाइनल फिक्स होने के आरोपों की जांच पूरी हो गयी है और खिलाड़ियों को क्लीन चिट दे दी गयी है। खेल मंत्रालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल के प्रमुख जगत फोन्सेका ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। जांच दल ने फिक्सिंग के आरोपों को लेकर विश्व कप के समय कप्तान रहे कुमार संगकारा, उस समय राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष रहे अरविन्द डी सिल्वा और सलामी बल्लेबाज उपुल तरंगा से घंटों पूछताछ की। उपकप्तान और फाइनल में शतक बनाने वाले माहेला जयवर्धने जांच दल के सामने पेश होने वाले थे लेकिन उससे पहले ही जांच समाप्त घोषित कर दी गयी।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचार रोधी इकाई ने शुक्रवार को जारी बयान कहा कि उसे मैच को लेकर किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है। आईसीसी के महाप्रबंधक एलेक्स मार्शल ने कहा कि उसकी भ्रष्टाचार रोधी इकाई ने इन आरोपों को देखा था लेकिन उसे इन दावों के संबंध में कोई प्रमाण नहीं दिए गए थे, इसी वजह से आईसीसी ने इन दावों को लेकर कोई जांच शुरू नहीं की। मार्शल ने साथ ही कहा कि पूर्व श्रीलंकाई खेल मंत्री ने आईसीसी को लिखित या मौखिक कोई शिकायत नहीं की थी।
फोन्सेका ने कहा कि तीन क्रिकेटरों को अब तक पूछताछ के लिए बुलाया गया था और उनके बयान में सच्चाई दिखाई देती है कि फाइनल में एकादश में परिवर्तन करने की क्या वजह थी। उन्होंने बताया कि वह अपनी जांच रिपोर्ट खेल मंत्रालय के सचिव को भेजेंगे। उन्होंने बताया कि एक शिकायत पत्र आईसीसी को भेजा गया था लेकिन आईसीसी ने अपनी तरफ से कोई जांच शुरू नहीं की थी।
उन्होंने बताया कि विशेष जांच टीम के उच्च अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करने के बाद शुक्रवार को जांच समाप्त करने का फैसला किया गया। उन्होंने साथ ही कहा कि विभिन्न क्रिकेटरों को पूछताछ के लिए बुलाया जाना देश में संकट पैदा कर सकता था और यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता था। फोन्सेका ने कहा, तीन खिलाड़ियों के बयान से पता चलता है कि पूर्व खेल मंत्री महेंद्रानंद अलुथगमागे के 14 आरोपों को साबित करने के लिए कोई प्रमाण नहीं थे। आईसीसी ने भी आरोपों को लेकर कोई जवाब नहीं दिया था।
पूर्व खेल मंत्री महेंद्रानंद अलुथगमागे ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि भारत और श्रीलंका के बीच विश्व कप 2011 का फाइनल फिक्स था। उनके इन आरोपों की श्रीलंका के खेल मंत्रालय ने पूरी जांच का आदेश दिया था। अलुथगमागे के आरोप 2011 फाइनल में श्रीलंकाई एकादश में किये गए चार परिवर्तनों को लेकर थे। हालांकि आईसीसी का कहना था कि उसे फाइनल को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली थी जबकि टूर्नामेंट आयोजन समिति का भी कहना था कि उसे भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं मिली। श्रीलंका के मौजूदा खेल मंत्री दुलास अल्हापपेरूमा ने इस मामले में जांच का आदेश दिया था और जांचकर्ताओं को कहा था कि वे हर दो सप्ताह में एक बार जांच में प्रगति की रिपोर्ट पेश करें। विशेष जांच पुलिस ने पिछले सप्ताह अलुथगमागे का बयान रिकॉर्ड किया था। श्रीलंका पुलिस ने मंगलवार को चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष डी सिल्वा से पूछताछ की थी और बुधवार को तरंगा से पूछताछ की गयी। विश्व कप के समय चयनकर्ता प्रमुख रहे डी सिल्वा से लगभग छह घंटे तक पूछताछ की गयी। डी सिल्वा ने कहा था कि यदि जरूरत पड़ी तो वह जांच के लिए भारत भी जाने को तैयार हैं।
2011 फाइनल में खेले बाएं हाथ के बल्लेबाज तरंगा से जांच पुलिस ने दो घंटे तक पूछताछ की गयी थी। तरंगा ने फाइनल में 20 गेंदों में मात्र दो रन बनाये थे। इसके बाद संगकारा को बुलाकर उनसे भी पूछताछ की गयी थी लेकिन इन आरोपों के संबंध में कोई प्रमाण सामने नहीं आया। माहेला के पेश होने से पहले जांच बंद कर दी गयी क्योंकि आरोपों के संबंध में कोई प्रमाण नहीं मिला।
विश्व कप 2011 के समय श्रीलंका के खेल मंत्री रहे अलुथगमागे ने यह आरोप लगाते हुए कहा था कि वह अपने बयान की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं लेकिन इसमें वह क्रिकेटर को शामिल नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था, मैं अपने बयान की जिम्मेदारी लेता हूं और मैं बहस के लिए आगे आ सकता हूं। जनता इसको लेकर चिंतित है। मैं इसमें क्रिकेटरों को शामिल नहीं करूंगा। हालांकि, कुछ ग्रुप निश्चित रूप से फिक्सिंग में शामिल थे।
अलुथगमागे ने अपने पास प्रमाण होने का दावा किया था लेकिन वह कोई भी प्रमाण सार्वजानिक नहीं कर सके। पूर्व खेल मंत्री ने यह भी कहा था कि उन्होंने तब आईसीसी को शिकायत की थी लेकिन आईसीसी ने कभी इसकी पुष्टि नहीं की।
आईसीसी के महाप्रबंधक एलेक्स मार्शल ने कहा, हमने 2011 विश्व कप के आयोजन से जुड़े सभी आईसीसी अधिकारियों से बातचीत की थी लेकिन किसी ने भी नहीं कहा कि अलुथगमागे ने कोई शिकायत भेजी थी। उनके किसी तरह का शिकायत पत्र भेजे जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यदि हमें कोई प्रमाण मिलते तभी हम मामले की जांच करते लेकिन हमें कोई भी प्रमाण नहीं मिला।