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लद्दाख से मोदी चीन को नैतिकता नहीं समझाना चाहते थे तभी राजनाथ का दौरा रद कराया - Sabguru News
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लद्दाख से मोदी चीन को नैतिकता नहीं समझाना चाहते थे तभी राजनाथ का दौरा रद कराया

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लद्दाख से मोदी चीन को नैतिकता नहीं समझाना चाहते थे तभी राजनाथ का दौरा रद कराया
Politician Rajnath together with Modi against to China for Ladakh politics
Politician Rajnath together with Modi against to China for Ladakh politics
Politician Rajnath together with Modi against to China for Ladakh politics

सबगुरु न्यूज। कुछ जख्म इतने असरदार होते हैं कि तोपों और बंदूकों से ज्यादा गहरे हो जाते हैं। शब्दों के प्रहारों से दुश्मन इतना बुरी तरह तिलमिला जाता है कि वह अपने आपको पिटा हुआ, हारा हुआ या अपमानित सा महसूस करने लगता है। ऐसे ही शुक्रवार को चीन भारत की बढ़ती ताकत को लेकर पूरे दिन बौखलाया रहा। हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को लद्दाख स्थित चीनी बॉर्डर नीमू दौरे की। यह स्थान चीन का प्रवेश द्वार भी कहलाता है। यहीं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी गरजती आवाज में चीन को ललकारा। 15 जून की रात गालवन घाटी में भारत और चीनी सैनिकों की भिड़ंत के बाद चीन पूरे विश्व भर में अपना सीना चौड़ा करके घूम रहा था।

हालांकि भारत भी नई दिल्ली से चीनी हमले का जवाब देने में लगा हुआ था। लद्दाख की स्थिति भारत और चीन सीमा बॉर्डर पर पहले केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजने का फैसला किया था। लेकिन ऐनमौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख घाटी में सेना के जवानों से मिलने और चीन को जवाब देने जा रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दौरा रद करा दिया। पीएम मोदी जानते थे कि राजनाथ सिंह की नैतिकता और जवानों का हौसला बढ़ाने में राजनाथ सिंह उतने सक्षम नहीं होंगे।‌ एक ओर कांग्रेस समेत विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री से चीनी सेनाओं के हमारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाकर जवाब मांग रहे थे तो दूसरी ओर देश की जनता भी चीन को कड़ा सबक सिखाने के लिए मोदी से अपेक्षा कर रही थी।‌

मोदी अपने साथ सिर्फ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और थलसेना प्रमुख नरवणे को साथ ले गए। शुक्रवार सुबह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह पहुंचे तो हर कोई चौंक गया। पीएम मोदी ने यहां सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान थल सेना, वायुसेना के अधिकारी भी शामिल रहे। बता दें कि पिछले कई दिनों से दोनों ही सेनाएं लेह और लद्दाख इलाके में तैनात हैं और अभ्यास कर रही हैं। लद्दाख के गलवान इलाके और पैंगोंग 4 इलाके में लगातार दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं। घाटी से चीन पर मोदी ने जबरदस्त प्रहार कर भारत को दिए गए जख्मों को कुछ कम करने का प्रयास भी किया है।

राष्ट्र की सुरक्षा पर देशवासी मोदी से एक बार फिर उम्मीदें लगाए बैठे थे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से बिना प्लान की घोषणा किए लद्दाख के दौरे पर पहुंच गए। नीमू में 11 हजार फीट ऊंची फॉरवर्ड लोकेशन पर आर्मी, एयरफोर्स और आईटीबीपी के जवानों का भी पीएम मोदी ने हौसला बढ़ाया। बता दें कि नीमू से चीन की दूरी सिर्फ 250 किलोमीटर है। यहां से पीएम मोदी ने सिंहनाद करते हुए ड्रैगन को भारत की ताकत भी पहली बार सीधे जोरदार तरीके से बता दी। प्रधानमंत्री ने चीन को अपने ’56 इंच’ की ताकत दिखा कर सीधा संदेश भी दे दिया है कि अब भारत सीधे तौर पर दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। मोदी ने चीन से इशारों ही इशारों में कह दिया कि अब विस्तारवादी नीति नहीं चलेगी, भारत अपनी 1 इंच जमीन भी नहीं छोड़ेगा। मोदी ने गरजती हुए कहा कि पूरा लद्दाख भारत का है।

पीएम का यह मैसेज सिर्फ चीन के लिए ही नहीं, बल्कि उन देशों के लिए भी है, जो भारत की ताकत को नजरअंदाज कर रहे हैं। मोदी के इस तेवर के बाद चीन बुरी तरह बौखला गया है। भारत के इस स्टैंड के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मिलिट्री और डिप्लोमैटिक बातचीत के जरिए दोनों देश तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी पक्ष को ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे हालात बिगड़ेंं। प्रधानमंत्री का बिना रुके-बिना थके, यहां चीन के प्रति सख्त तेवरों में जवानों को संबोधित करना, अस्पताल जाना, अग्रिम चौकी का दौरा और फिर सैन्य कमांडरों से बैठक करना जवानों में ऊर्जा का संचार कर गया। भारतीय जवानों ने पीएम के सामने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे भी लगाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की ओर इशारा करते हुए सख्त लहजे में कहा कि अब पड़ोसी को अपना विस्तारवादी युग खत्म करना होगा।

मोदी ने एक बार फिर बता दिया देश का नेतृत्व सुरक्षित हाथों में है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 से ही देश की जनता को यह बताने में लगे हुए हैं कि राष्ट्र की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही देश के सुरक्षा का नेतृत्व भी आप मजबूत हाथों में आ गया है। देश की करोड़ों जनता भी मोदी के इस स्टाइल को खूब पसंद करती है और उनसे दुश्मनों को ऐसे ही जवाब देने की अपेक्षा रखती है। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद अभी तक दोनों देशों के बीच जबरदस्त तनातनी चली आ रही है। चीन अपनी राजधानी बीजिंग तो भारत अपनी राजधानी दिल्ली से एक दूसरे को जवाब और हमले कर रहे थे।

चीन और भारत की गलवान घाटी में भिड़ंत के 18 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह 9 बजे अचानक लद्दाख घाटी में नीमू पर जा पहुंचे। पीएम के लद्दाख दौरे को लेकर किसी को खबर भी नहीं हुई। यह क्षेत्र चीन की सीमा पर स्थित है, इस जगह को चीन का सिर भी कहा जाता है। दोनों देशों के युद्ध के हालातों के बीच शुक्रवार को भारत ने चीन को जिस लहजे में ताकत दिखाना बताता है कि अब इस देश में अगुवाई और नेतृत्व की कमी नहीं है। यानी पीएम मोदी ने देश के अंदर भी और विदेशी ताकतों को भी यह मैसेज दे दिया है कि भारत की मुश्किल परिस्थितियों में हर वक्त आगे खड़े हुए हैं। मोदी ने देश की जनता को यह भी बताया कि जब कोई मुश्किल परिस्थिति बनी हो-खासकर राष्ट्रीय स्वाभिमान के मसले पर तो वो व्यक्ति जो देश की अगुवाई कर रहा है, उसके दिए हुए संकेत इतिहास की किताबों में दर्ज होते हैं। इस वक्त चीन के फ्रंट पर भारत दशकों की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार