लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के मोस्टवांटेड अपराधी विकास दुबे की शुक्रवार को पुलिस अभिरक्षा में मुठभेड़ के दौरान हुई मौत पर सवाल खड़े करते हुये विपक्ष ने सरकार पर प्रहार करने शुरू कर दिए हैं।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए ट्वीट किया कि दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है।
उधर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने ट्वीट किया कि जिसका था अंदेशा वही हो गया, कानपुर काण्ड का मुख्य आरोपी विकास दुबे अगर मुंह खोलता तो कई बड़े नेता और अफ़सर नहीं रहते अपना मुंह खोलने लायक! कोई तो बड़ा शख़्स है, इसके पीछे जो नहीं चाहता था कि विकास दुबे मजिस्ट्रेट के सामने सच्चाई बताता उससे पहले बंद कर दी गई वो ज़ुबान।
कानून व्यवस्था के मामले में इन दिनोे यूपी सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
गौरतलब है कि कानपुर में चौबेपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई की रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास और उसके गुर्गो ने जमकर फायरिंग की थी जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे जबकि सात घायल हो गए थे। विकास पर इससे पहले 60 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो कानपुर कांड की जांच
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने उत्तरप्रदेश के कानपुर कांड की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग करते हुए कहा है कि इससे शहीद पुलिस कर्मियों को न्याय मिल सकेगा।
मायावती ने शुक्रवार को एक ट्वीट श्रृंखला में कहा कि पुलिस और आपराधिक और राजनीतिक गठजोड़ की भी जांच की जानी चाहिए। बसपा नेता ने कहा कि कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए। ”
मायावती ने कहा कि यह उच्च-स्तरीय जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए आठ पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके। साथ ही, पुलिस तथा आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके। ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है।
विकास दूबे मामले में मानवाधिकार आयोग को शिकायत
उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस अभिरक्षा में भागने का प्रयास करने के दौरान मारा गया कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के मामले में पुलिस की कार्यशैली को लेकरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत की गई है।
समाजसेवी डा नूतन ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा है कि विकास दूबे का कृत्य अत्यंत जघन्य था लेकिन जिस प्रकार से पुलिस ने इसके बाद गैरकानूनी कार्य किये हैं, वह भी अत्यंत निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि आरोप हैं कि विकास के मामा प्रेम प्रकाश पाण्डेय तथा अतुल दूबे को गांव में मारा गया जबकि वे कथित रूप से घटना में शरीक नहीं होने के कारण गांव में मौजूद थे। इसी प्रकार उसके सहयोगी प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे एवं अब स्वयं विकास को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मारा जाना किसी को स्वीकार नहीं हो रहा है।
पुलिस की कहानी में कई जाहिरा खामियां हैं। ऐसे ही जैसे विकास का घर बिना आदेश के गिराया गया अथवा उसकी पत्नी व बच्चे से बर्ताव किया गया, वह अवैधानिक व अनुचित था।
नूतन ने इन आरोपों की जांच की मांग की है।