सबगुरु न्यूज। कोरोना महामारी संकटकाल में देश और विदेशों में सबसे ज्यादा ध्यान इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की बातें की जा रही हैं। ये सच है कि कोरोना को हराने के लिए सबसे बड़ा हथियार स्ट्रांग इम्युनिटी का होना माना जा रहा है। डॉक्टर्स, और वैज्ञानिक भी लोगों को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इस वायरस से बचाव करने के लिए आपने भी अपने सगे संबंधी, रिश्तेदारों, परिचितों और मित्रों से मोबाइल से बात करते हुए कहा होगा या सुना होगा कि इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा लेना या कमजोर मत होने देना, तभी इस महामारी से बचाव हो सकेगा। आज बात इम्युनिटी पर होगी। पिछले काफी समय से आपने देखा होगा, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया में इम्युनिटी बढ़ाने के हजारों प्रकार के विज्ञापन दिखाकर देश के लोगों को लुभाए जा रहा हैं। देश में आज कई कंपनियां ऐसी हैं जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बाजार में कूद पड़ी है।
इन कंपनियों ने कोरोना संकटकाल में अपनी कमाई का सबसे अच्छा जरिया भी बना लिया है। हम आपको बता दें कि अभी इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन न कोई टीका बाजार में आ सका है, इसी को ध्यान में रखते हुए आज कई ब्रांडेड कंपनियां फायदा उठाने में जुटी हुई है। मेडिकल स्टोरों से लेकर कई बड़े शोरूम, दुकानों में आपको प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के पाउडर, दवा रखें मिल जाएंगे। कोरोना का डर इस कदर समाया हुआ है कि लोगों को कुछ सूझ नहीं रहा है। वह बाजार में खुद ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नए-नए उत्पादन की तलाश करने में लगा हुआ है। इस महामारी से लोगों के डर और नब्ज को आज कंपनी खूब अच्छी तरह जान गई हैं इसी का फायदा उठाने में लगी हुईं हैं। एक सवाल जो किसी के भी मन में उठ सकता है कि जब आज के दौर में इम्युनिटी पर ही सबका जोर है।
लोगों की जेबें ढीली करने के लिए इम्युनिटी का एक बड़ा बाजार खड़ा हो गया है
साफ है कि कोविड-19 संकट में इम्युनिटी का एक बड़ा बाजार खड़ा हो गया है। जिसे भुनाने के लिए सभी मैदान में कूद पड़े हैं। अगर हम पिछले फरवरी से लेकर अभी तक देशभर में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा गूगल पर सर्चिंग की जा रही है। ई-कॉमर्स कंपनियों से हर तीसरा ग्राहक इम्युनिटी बढ़ाने वाले उत्पाद खरीद रहा है। आज कई ब्रांडेड कंपनियों से लेकर छोटी कंपनियां फायदा उठाने में लगी हुई हैं।
लोगों की बढ़ती रुचि को भुनाने के लिए कंपनियों ने भी अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बदल दी है। इसमें कंपनियों की गलती नहीं नजर आती है। कंपनी तो बाजार के हिसाब से अपना उत्पादन तय करती हैं। आज उन्हें मालूम है कि कोरोना वायरस का डर पूरे देश में समाया हुआ है, ऐसे लोग इम्युनिटी बूस्टर के पीछे भाग रहे हैं। इसी का यह कंपनी फायदा उठाने में लगी हुई हैं। सही मायने में बाजार में लोगों की जेबें काटने के लिए नया ‘इम्युनिटी फंडा’ बन गया है।
आप घरेलू उपायों से बढ़ा सकते हैं अपनी प्रतिरोधक क्षमता
इस वैश्विक महामारी ने कई नए शब्दों की रचना को बाजार के अनुसार परिभाषित कर दिया है। जबकि हम बात करें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए देश में प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों के समय से ही यह परंपरा चली आ रही है। हमारे पूर्वज पहले कई बीमारियां सही करने के लिए घरेलू नुस्खा अपनाते थे। दूध में हल्दी मिलाने और तुलसी के पत्ते, दालचीनी, सोंठ काली मिर्च का बना हुआ काढ़ा और इसके साथ गिलोय आदि कई बीमारियों में ‘रामबाण औषधि’ का काम करती है। लेकिन आज भागदौड़ भरी जीवन में लोग पुराने नुस्खे को अपनाना नहीं चाहते हैं।
वह तो रेडीमेड बने उत्पादन को ही लाना चाहते हैं। कोरोना का डर कहें या लोगों के उतावलापन की वजह से आज कई कंपनियां फायदा भी उठा रही हैं। अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के चक्कर में लगा आज मनुष्य चिकित्सकों से भी परामर्श लेना उचित नहीं समझ रहा है। वह तो कंपनियों के लोकलुभावन विज्ञापनों की मायाजाल में फंसकर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। अब यह रेग्युलेटर की जिम्मेदारी है कि लोगों में फैले डर का कोई फायदा नहीं उठाए और लोगों तक सही उत्पाद पहुंचे, तभी इस संकट के दौर में हम कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीतने में सफल होंगे।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार