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मुख्यमंत्री का राजभवन को घेरने वाला बयान असंवैधानिक : सतीश पूनियां - Sabguru News
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मुख्यमंत्री का राजभवन को घेरने वाला बयान असंवैधानिक : सतीश पूनियां

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मुख्यमंत्री का राजभवन को घेरने वाला बयान असंवैधानिक : सतीश पूनियां

जयपुर। प्रदेश के वर्तमान राजनैतिक हालात पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के खिलाफ लोगों को उकसाने वाला बयान दिया है, जो असंवैधानिक है और संसदीय परम्पराओं के विपरीत है और मुख्यमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ भी है।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने कहा कि द ग्रेट राजस्थान पाॅलिटिकल ड्रामा के निर्माता, निर्देशक और नायक खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं, जिसे पूरे प्रदेश की जनता देख रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के संवैधानिक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में चल रही है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री गहलोत अपनी लेखनी और वाणी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर झूठे आरोप लगाकर मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस में चल रहे अन्तर्कलह एवं अन्तर्विरोध की वजह स्वयं अशोक गहलोत है।

पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत जिस अर्मादित भाषा और शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ये मुख्यमंत्री पद की मर्यादा और नैतिकता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और विधायकों ने राजभवन में धरने का जो नाटक किया, यह सब असंवैधानिक है।

धरना देकर राज्यपाल पर जो दवाब बनाने की घटिया राजनीति कर रहे हैं और मुख्यमंत्री गहलोत ने मीडिया के सामने जो बयान दिया कि जनता राजभवन को घेरेगी, तो ऐसे में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी, मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान शोभा नहीं देते, मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबन्धन कानून की धारा का भी उल्लघंन किया है, एक तरह से यह आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने संवैधानिक प्रमुख के खिलाफ लोगों को उकसाने का अपराध किया है, ऐसा राजस्थान के इतिहास में कभी नहीं हुआ है कि राजभवन को राजनीति का अखाड़ा बनाया गया हो। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने विधायकों को राजभवन ले जाकर जिस तरीके की दवाब की राजनीति की है, वो असंवैधानिक तरीका है, सदन को आहूत करने का राज्यपाल के पास विशेषाधिकार है, जो स्वयं में अन्तर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर सत्र बुलाते हैं।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि राजभवन में मुख्यमंत्री द्वारा विधायकों को ले जाकर भीड़ जुटाना कोरोना एडवाइजरी के दिशानिर्देशों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में कोरोना बेकाबू हो रहा है, तो इस तरह राजभवन में विधायकों का एकत्रित होना कानूनन सही नहीं है।

उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को भ्रमित कर सहानुभूति बटोरने का दिखावा कर रहे हैं, जिसे प्रदेश की जनता भली-भांति जान चुकी है। बसपा विधायकों को लेकर न्यायालय में चल रहे मामले एवं प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था पर पूछे गए सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि जनता के हित में जो भी उचित होगा, वो हम लेगें और हमारी मुख्यमंत्री से मांग है कि प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उचित कदम उठायें।

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री घटिया स्तर की बयानबाजी कर खुद अपने जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कैबिनेट के निर्णय से राज्यपाल को अवगत करवा दिया है, तो फिर राजभवन में जाकर धरना देने का यह घटिया काम मुख्यमंत्री पद के लिए शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को क्या फैसला लेना है, वे अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि प्रदेश की जनता राजभवन को घेरेगी, यह मुख्यमंत्री पद की गरिमा को गिराने वाला बयान है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अन्दर से बौखलाये हुए हैं और अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया है, मुख्यमंत्री को अपने पद की गरिमा बनाये रखनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा राजभवन को घेरने की धमकी देने वाले बयान पर कहा कि मेरी राज्यपाल से मांग है कि ऐसे हालात से निपटने के लिए सीआरपीएफ लगाकर राजभवन की कड़ी सुरक्षा कर देनी चाहिए।

उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका उप मुख्यमंत्री से करीब डेढ़ साल से कोई संवाद नहीं है, तो इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस में चल रहे झगडे़ की वजह स्वयं मुख्यमंत्री की हठधर्मिता है, तो फिर भाजपा पर बार-बार क्यों मुख्यमंत्री झूठे आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना के 33 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और 600 से अधिक मौत हो चुकी हैं, तो ऐसे में मुख्यमंत्री को घटिया राजनीति करने के बजाय कोरोना प्रबन्धन पर ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अपने उदण्ड विधायकों को राजभवन ले जाकर मुख्यमंत्री ने जो धरना दिया है, वो असंवैधानिक तरीका है। जब प्रदेश के लाखों परीक्षार्थियों की परीक्षा रद्द कर दी गई, तो फिर इस तरह राजभवन में मुख्यमंत्री एवं उनकी पार्टी के विधायकों का धरने पर बैठना कानून की धज्जियां उड़ा रहा है।

राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत खुद की सरकार बचाने के लिए जोड़-तोड़ में लगे हंै, आंशिक अल्पमत में चल रही सरकार अब अल्पमत की स्थिति में आ चुकी है, जिससे मुख्यमंत्री हताश हो चुके हैं। प्रेसवार्ता में इस दौरान पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी भी मौजूद रहे।