जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल पद की गरिमा के खिलाफ बयान दे रहे हैं, जो मुख्यमंत्री पद की गरिमा के भी खिलाफ है।
डा.पूनियां ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गहलोत ने असंतुलित होकर राजभवन एवं राज्यपाल को लेकर जो बातें कहीं, वो चिंताजनक एवं निंदनीय है। उन्होंने कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने के लिए जब सिफारिश करती है, तो राज्यपाल को संवैधानिक मर्यादाओं के तहत सत्र बुलाना होता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी राज्यपाल पद की गरिमा पर हमले कर रही है, इसको लेकर प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।
एक सवाल के जवाब में डा पूनियां ने कहा कि कांग्रेस इस सियासी शोरगुल में भाजपा और राज्यपाल पर झूठे आरोप लगा रही है, संविधान एवं कानून की अनुपालना राज्यपाल कांग्रेस के दबाव की राजनीति से तो करेंगे नहीं, वे संविधान एवं कानून के अनुसार फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
सत्र बुलाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि राज्यपाल महोदय ने सत्र बुलाने को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है, लेकिन इस तरीके की जिद की राजनीति कांग्रेस कर रही है, वो निंदनीय है, 21 दिन के नोटिस के जरिये सत्र बुलाने की एक विधिवत प्रक्रिया होती है, इसके अलावा विधायकों के भी अपने अधिकार हैं जो सदन ने उनको दिए हैं।
आयुष चिकित्साकर्मियों की सेवाए जारी रखने को लेकर लिखा पत्र
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन सिंह को से मांग की है कि 31 जुलाई 2020 को बंद कर रहे आयुष कार्यक्रम को निरंतर रखते हुए समस्त संविदा चिकित्साकर्मियों की सेवाएं बनाए रखी जाए।
डाॅ. पूनियां ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि और आयुष मंत्रालय के संयुक्त संयोजन से देश के तीन राज्यों यथा राजस्थान के भीलवाड़ा, गुजरात के सुरेन्द्र नगर एवं बिहार के गया जिले में 2015 से निरंतर चल रहा है।
उन्होंने इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्तर्गत स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय ने इसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जोड़ने की अनुशंषा की है, जिसका श्रेय स्वयं विभाग ने सभी संविदा चिकित्साकर्मियों को दिया है।