जयपुर। राजस्थान में विधानसभा का सत्र बुलाने की राज्यपाल की अनुमति के बाद कांग्रेस और भाजपा को अपने विधायकों के एकजुट रहने की चुनौती है।
पिछले 15 दिनों से यहां एक होटल में लाए गए कांग्रेस विधायकों को अब जैसलमेर ले जाने की योजना है जहां निर्जन स्थान पर बनी एक होटल में ठहराया जाएगा। कांग्रेस में निष्कासित उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित 19 विधायकों का अलग गुट बनाकर कांग्रेस में खलबली मचाने के बाद कांग्रेस के विधायकों को एकजुटता बनाए रखने की चुनौती बन गई। कांग्रेस के साथ निर्दलीय एवं बीटीपी के दो तथा बसपा के छह विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास 103 आंकड़ा माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत धनबल पर विधायकों को खरीदने तथा सरकार को अस्थिर करने का आरोप पहले ही लगा चुके थे। इसके बाद कांग्रेस में टूट और विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में एक ऑडियों सामने आने के बाद विधायकों से पूछताछ करने के लिए एसओजी कई बार मानेसर गई जहां पायलट गुट के विधायक ठहरे हुए थे। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष डा सीपी जोशी ने विधायक दल की दो बार की गई बैठक में नहीं आने पर 19 विधायकों को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया।
पायलट गुट के अदालत का दरवाजा खटखटाने पर उन्हें राहत मिल गई लेकिन फिर भी राजनीति रुकी नहीं, भाजपा तथा कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया। इसके बाद बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने पर गहलोत ने मीडिया के सामने बहुमत का प्रर्दशन कर राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की।
राजभवन में एक दिन का धरना देने के बाद श्री गहलोत ने तीन बार मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर राजभवन के कुछ बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण देने के साथ 31 जुलाई को सत्र बुलाने की मांग की। मंत्रिमंडल द्वारा चौथी बार प्रस्ताव पास करने के बाद 21 दिन की अनिवार्यता बताते हुए राज्यपाल ने 14 अगस्त को सत्र बुलाने की अनुमति दे दी।
इसके बाद दोनों राजनीतिक दल अपने अपने विधायकों को एकजुट करने में लगा हुआ है। विधानसभा में पायलट गुट के 19 विधायकों अयोग्य घोषित कर दिया गया तो राजनीति की दिशा बदल सकती है। विधायकों को एकजुट बनाए रखने में अब तक सक्षम रहे गहलोत बहुमत सिद्ध करने में कामयाब रहे तो यह सरकार आगे तक भी चल सकती है। फिलहाल कांग्रेस के सभी विधायकों को जैसलमेर ले जाने की योजना है जबकि पायलट गुट के 19 विधायकों के ठिकाने के बारे में किसी को जानकारी नहीं है।