जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जुड़े स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल रयान ने सोमवार को कहा कि भारत कोरोना वायरस (काेविड-19) के टीके के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और संभावित एंटी-कोविड दवाओं का उत्पादन भी कर रहा है।
रयान ने कोविड-19 पर एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि कुल मिलाकर भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक सशक्त योगदान दे रहा है।
डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी निदेशक के अनुसार कोरोना के मामलों में उछाल देश के आकार और उसकी जनसंख्या पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना मामलों की संख्या बहुत अधिक है लेकिन मुझे लगता है कि हमें स्पष्ट रूप से भारत की 130 करोड़ की आबादी को आधार मानकर भारत में मामलों की संख्या को देखना चाहिए।
डॉ. रयान ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के नमूनों का अधिक से अधिक परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में नमूनों का अच्छी संख्या में परीक्षण किया जा रहा है। पहले ही दो करोड़ परीक्षण किए गए हैं। प्रतिदिन का परीक्षण औसत डेढ़ लाख है। उन्होंने कहा कि भारत की परीक्षण को लेकर दिखायी जा रही गंभीरता से स्पष्ट है वह देश परीक्षण बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प है।
डॉ रयान ने अधिक संख्या में परीक्षण के लिए भारत की सराहना करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहे इस वायरस पर भी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारी चिंता यह है कि यह वायरस ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक तेजी से फैल रहा है और यह जरूरी नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्रो में स्वास्थ्य प्रणाली भी शहरों की तरह उतनी ही मजबूत हो।
उन्होंने कहा कि भारत को हमेशा इस वायरस की रोकथाम करने और इस वायरस के गिरफ्त में आने वालो लोगों के इलाज के लिए निरंतर प्रयासरत रहना होगा। डॉ. रयान ने कहा कि कोविड-19 महामारी से न केवल लोगों की मौत हुई है बल्कि इस वायरस से दुनिया के कई देशों की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
इसी ब्रीफिंग के दौरान डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस ने दुनिया भर के लोगों से काेविड-19 के खिलाफ जंग में उम्मीद कायम रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस महामारी के संबंध में भविष्य में जो कुछ भी हो अब वह हमारे हाथों में है।
उन्होंने कहा कि हमें हार नहीं माननी चाहिए, मैं यह नहीं कह सकता कि इसका समाधान नहीं है। स्पेन इटली, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों ने इसे उनके यहां मौजूद संसाधनों का सही इस्तेमाल करके इस पर नियंत्रण पाने का काफी प्रयास किया है।