जयपुर। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल कर लिया। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विश्वास मत संबंधी प्रस्ताव रखा जिस पर अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने सत्ता और विपक्ष के सदस्यों से तीन घंटे से अधिक समय तक चर्चा कराने की अनुमति दी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चर्चा के दौरान उठाए गए मुद्दों का जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नेताओं ने सरकार गिराने की ठान ली है, लेकिन वह भी ठान चुके हैं कि अपनी सरकार किसी भी कीमत पर गिरने नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने जो कुछ किया, उसे सबने देखा। मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त हुई। इससे स्पष्ट है कि संविधान की धज्जियां किस तरह उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा ही षडयंत्र राजस्थान में भी किया गया लेकिन भाजपा उसमें सफल नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा कि इस साजिश में भाजपा के स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज कर केन्द्रीय मंत्री कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की चालें चलते रहे। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक आडियो क्लिप से एक केन्द्रीय मंत्री की भूमिका सामने भी आई है।
गहलोत ने कहा कि इस प्रदेश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि भैंरोसिंह शेखावत सरकार के समय भी सरकार गिराने का प्रयास हुआ था तब वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि मैंने तत्कालीन राज्यपाल बलीराम भगत से मिलकर यह स्पष्ट कह दिया था कि मैं इस तरह की कार्यवाही के पक्ष में नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि जब उन्हें इससे पहले विधानसभा में 156 सीटोें का बहुमत मिला था और भाजपा को केवल 32 सीटें मिली थी तो भी उन्हें अहंकार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही मैं तत्कालीन विपक्ष के नेता भैंरोसिंह शेखावत से मिलने उनके निवास पर गया तथा उन्हें आश्वस्त किया कि उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।
गहलोत ने कहा कि राज्य में कोरोना महामारी के दौरान कोई राजनीति नहीं हुई और पक्ष-विपक्ष ने मिलकर यह लड़ाई लड़ी जिसकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तारीफ की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कोरोना मामले में सांसद, विधायक, जिला कलक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, चिकित्सकों, धर्मगुरुओं, जिला प्रतिनिधियों और ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों से 21-21 घंटे तक वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से चर्चा करके सभी का सहयोग लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी पर सभी के सहयोग का ही परिणाम है कि राजस्थान में मृत्यु दर देश में सबसे कम है तथा रिकवरी दर भी बेहतर है।
विश्वास मत पर हुई चर्चा में शामिल होते हुए विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने सरकार को अस्थिर करने के प्रयास को गलत बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी में ही असंतोष था। उनके बीच टकराव न होता तो वह बीच में आते ही नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा के सिर्फ 75 विधायक हैं, इसके मद्देनजर वह सरकार गिराने की सोच भी नहीं सकते थे।
धारीवाल की टोका-टाकी करने पर उनकी डॉ जोशी से तकरार भी हो गई। बाद में अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री को अपना व्यवहार मर्यादित रखने के निर्देश भी दिए। तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने भी भाजपा पर सरकार गिराने का षडयंत्र करने का आरोप लगाया। विपक्ष के उप नेता राजेन्द्र राठौड ने भी सरकार गिराने के आरोप को गलत बताया और कहा कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला था लेकिन आरोप भाजपा पर लगाए गए हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि विधायकों पर राजद्रोह का मामला दर्ज कराया गया तथा उसे वापस भी ले लिया गया। उन्होंने कहा कि जिस विधायक के खिलाफ मामला दर्ज कराया, उसके विरुद्ध एक अपराधी की तरह जांच कराई गई।
भाजपा की किरण माहेश्वरी ने कहा कि कांग्रेस की बाड़ाबंदी से साबित हो गया है कि विधायकों के प्रति उनका कितना अविश्वास है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कोरोना वायरस संकट के समय कुछ नहीं किया गया जबकि केन्द्र सरकार ने कोरोना वायरस से जूझ रहे लोगों का 50-50 लाख रुपए का बीमा कराया है।
इससे पहले शांति धारीवाल ने विश्वास मत प्रस्ताव रखते हुए आरोप लगाया कि भाजपा के कई नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने फसलों का समर्थन मूल्य तो नहीं बढ़ाया लेकिन विधायकों को खरीदने के लिए दाम बढ़ा दिए गए।
विधानसभा की बैठक 21 अगस्त तक स्थगित
राजस्थान में विधानसभा की बैठक आगामी 21 अगस्त तक स्थगित कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष डा सीपी जोशी ने आज विधासभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार द्वारा ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल करने के बाद सदन की कार्यवाही आगामी 21 अगस्त को 11 बजे तक स्थगित करने की घोषणा की। इससे पूर्व संसदीय मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में कांग्रेस सरकार की ओर से विश्वास मत पेश किया गया जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने तीन घंटे से अधिक समय तक बहस करवाई गई।