अजमेर। राजस्थान में अजमेर दरगाह शरीफ स्थित मोहर्रम के मौके पर साल में एक बार 72 घंटों के लिए खोले जाने वाला बाबा फरीद का चिल्ला आज तड़के खोला गया।
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इसमें केवल पासधारक खादिमों ने ही जियारत कर दुआ की। बाबा फरीद ने यहीं बैठकर चालीस दिनों तक इबादत की थी। इनकी दरगाह पाकिस्तान के पाक पट्टन में है जहां मंगलवार से उर्स शुरू होगा। जो लोग उर्स में शरीक नहीं हो पाते वे अजमेर चिल्ले की जियारत कर दुआ करते हैं।
मोहर्रम के मौके पर दरगाह शरीफ में हर साल भरने वाला मिनी उर्स इस बार कोरोना के चलते नहीं हो पा रहा है लेकिन शहीद-ए-करबला की याद में मुस्लिम समाज के लोग हरे लिबास में दिखाई दे रहे है।
मोहर्रम की कल पांच तारीख को चांदी का ताजिया दरगाह के महफिलखाने की सीढ़ियों पर रखा जाएगा जिस पर भी केवल खादिम ही सांकेतिक रूप से जियारत कर सकेंगे। ताजिये की सवारी को निकालने की अनुमति की मांग के साथ खादिमों ने मोहर्रम की आठ, नौ एवं दस (28,29,30 अगस्त) को अनुमति चाही है।
उन्होंने प्रशासन को भरोसा दिलाया है कि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना की जाएगी। खादिम समुदाय ने जिला प्रशासन को अनुमति नहीं देने की स्थिति में दरगाह के निजाम गेट पर धरना देने की भी चेतावनी दी है।
ताजिये के जुलूस के पहले अलम एवं मेहंदी का जुलुस तथा हाईदौस खेलने की भी परंपरा है लेकिन कोरोना के चलते प्रशासनिक अनुमति नहीं होने से फिलहाल कोई भी आयोजन होना संभव नहीं लग रहा।