Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
अम्बेडकर नगर के खाद्य एवं रसद विभाग में महाघोटाले की आहट, जिम्मेदार कौन? - Sabguru News
होम India City News अम्बेडकर नगर के खाद्य एवं रसद विभाग में महाघोटाले की आहट, जिम्मेदार कौन?

अम्बेडकर नगर के खाद्य एवं रसद विभाग में महाघोटाले की आहट, जिम्मेदार कौन?

0
अम्बेडकर नगर के खाद्य एवं रसद विभाग में महाघोटाले की आहट, जिम्मेदार कौन?

अम्बेडकर नगर। खाद्य एवं रसद विभाग में किसानों से धान की खरीद को लेकर एक बड़े घोटाले को लेकर इन दिनों प्रशासन और आमजन के बीच चर्चा का बाजार गरम है।

बतादें कि सरकार की नीतियों के अनुसार खाद्य और रसद विभाग किसानों से धान की खरीद करता है ताकि तय मूल्य सीधे किसानों तक पहुंच सके। इसके लिए बाकायदा जिले में कई जगह सक्षम अधिकारी के निर्देशन में सेंटर बनाए जाते है। हर सेंटर से बकायदा टेंडर के जरिए निर्धारित वाहनों के माध्यम से किसानों से खरीद किए गए अनाज को गोदाम में पहुंचाए जाने की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

भ्रष्टाचार के मास्टर माइंड कौन?

सारे मामला एक शिकायत के बाद सुर्खियों में आया। शिकायतकर्ता की माने तो अम्बेडकर नगर के खाद्य एवं विपणन विभाग के एक अधिकारी इसके मास्टर माइंड हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय विपणन अधिकारी ज्ञान प्रकाश वर्मा भी लगभग आठ साल से पद पर काबिज हैं जबकि नियमानुसार उनका कार्यकाल 5 साल से अधिक नहीं होना चाहिए।

बताया जाता है कि ज्ञान प्रकाश वर्मा खाद्य एवं विपणन अधिकारी अजीत कुमार सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि भ्रष्टाचार का सारा खेल इनके साथ मिलकर खेला गया है। विपणन निरीक्षक जलालपुर अयोध्या प्रसाद सिंह, विपणन अधिकारी बसखारी विजय बहादुर सिंह, विपणन निरीक्षक भीटी संजीत सिंह आदि को लेकर भी अंगुली उठ रही है। वर्ष 2019-20 के दौरान गलत और मनमाने ढंग से धान की खरीद फरोख्त का इन सब पर आरोप लगा है। जिसकी विभागीय जांच भी चल रही है।

ये है भ्रष्टाचार का पूरा मामला है

दरसअल सरकार किसानों का जो मूल्य तय करती है उसी मूल्य पर अनाज की खरीद फरोख्त करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होती है। लेकिन यहां गलत तरीके से धान की खरीद फरोख्त की गई। सेंटर पर धान की खरीद सीधे किसानों से की जानी चाहिए जबकि किसानों की जगह बिचौलियों से कम कीमत पर खरीद की गई और उन्हें तय मानक मूल्य के अनुसार सरकारी मद से पेमेंट लिया गया। इतना ही नहीं बल्कि अवकाश के दिन बिना किसी सक्षम अधिकारी के निर्देश के खरीद फरोख्त की गई।

शिकायतकर्ता का कहना है कि खरीद के बाद जिस वाहन से माल को भेजा गया उसमें बस, बाईक, आटो रिक्शा और बैटरी चलित रिक्शा है। इसके अलावा कुछ वाहनों के नंबर फर्जी है, इन नंबरों का कोई भी वाहन रजिस्टर नहीं है। इन मामले में वरिष्ठ अफसरों की संलिप्तता के चलते जांच जांच कछुआ चाल या फिर ना के बराबर गति से आगे बढ रही है। इस घोटाले में करीब 30 लाख क्विंटल धान की हेराफेरी के जरिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की चपत का अंदेशा जताया जा रहा है।

इस मामले में खाद्य एवं विपणन अधिकारी अजीत कुमार सिंह से जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार का दबाव था कि सारी डिटेल्स जल्दी आनलाइन फीड कराई जाए, जिससे क्लरिकल मिस्टेक हो गई है। इसी के चलते कई वाहनों के नंबर गलत दर्ज हो गए, बाकि सेक्शन में सभी एंट्री सही हुई है।

 

सवाल जो अनुत्तरित हैं

1-बगैर किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के छुट्टी के दिन किसानों से खरीद फरोख्त कैसे की गई?
2- जो धान की खरीद की गई उसको बाईक, आटो और बस से इतनी भारी मात्रा में कैसे ले जाया गया?
3- आनलाइन फीडिंग में सिर्फ एक कालम जिसमें वाहनों की इंट्री की गई उसी में क्लरिकल मिस्टेक कैसे हुई? जबकि सारे कॉलम बिल्कुल सही भरे गए है?
4-ऑनलाइन फीडिंग में इतनी ज्यादा क्लरिकल मिस्टेक वो भी सिर्फ एक ही कॉलम में कैसे संभव है?
5-ऑनलाइन फीडिंग जहां से हुई वहां के अपर अधिकारी पर सक्षम अधिकारी द्वारा तत्काल कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई?