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कोटा में 8 दिन के लॉकडाउन मुद्दे पर प्रशासन और व्यापारी आमने-सामने - Sabguru News
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कोटा में 8 दिन के लॉकडाउन मुद्दे पर प्रशासन और व्यापारी आमने-सामने

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कोटा में 8 दिन के लॉकडाउन मुद्दे पर प्रशासन और व्यापारी आमने-सामने

कोटा। राजस्थान के कोटा में वैश्विक महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए आठ दिन के लिए घोषित लॉकडाउन को लेकर व्यापारी वर्ग और प्रशासन आमने-सामने हो गए हैं।

कोविड-19 के संक्रमण के बाद केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 21 मार्च को जनता कर्फ्यू तथा दो दिन बाद में देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कोटा के व्यापारी वर्ग का हमेशा प्रशासन को सहयोग करते रहे लेकिन अब आर्थिक आशंकाओं के चलते व्यापारी अब इसके और लागू करने को तत्पर प्रशासन के खिलाफ मुखर हो गए हैं।

जिला मजिस्ट्रेट के एक प्रशासनिक बैठक के बाद शनिवार रात आठ बजे से अगले आठ दिन तक के लिए शुरू हुए लॉकडाउन का आज पहला दिन है। हालांकि अचानक लॉकडाउन की घोषणा के बाद मची अफरा-तफरी के कारण नगरीय विकास मंत्री एवं स्वायत्तशासन मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर जिला प्रशासन ने आज अपराह्न दो बजे तक कोटा के किराना जैसी उपभोक्ता वस्तुओं की दुकानें खोलने में छूट दी है।

कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए इस बार जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर अगले आठ दिन छह सितंबर तक लॉकडाउन का कर्फ्यू की तरह सख्ती से पालन करने के आदेश जारी किए हैं और इस दौरान जरूरी सेवाओं के अलावा आम आदमी के स्वच्छंद विचरण पर कड़ाई से रोक लगाई जाएगी और समस्त व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहेंगे।

प्रशासन की इस घोषणा के बाद से ही कोटा के व्यापारी वर्ग में गहरा असंतोष व्याप्त है। जहां कोटा में शनिवार एक ही दिन में राजस्थान में सबसे अधिक रिकॉर्ड तोड़ 711 कोराना मरीज मिलने के कारण प्रशासन चिंता में है।

वहीं व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण पिछले पांच महीनों में कोटा का केवल व्यापारिक जगत ही नहीं बल्कि रोजमर्रा का काम कर अपनी आजीविका कमाने वाला श्रमिक वर्ग इतने गहरे आर्थिक संकट में है कि अब वह आठ दिन लंबे लॉकडाउन को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं रह गया है।

कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन ने आज बताया कि केंद्र सरकार के चरणबद्ध तरीके से रोक हटाने के फैसले के बाद व्यापारी वर्ग ने कुछ राहत महसूस की थी लेकिन पहले प्रशासन ने सप्ताह में प्रत्येक रविवार को एक दिन और बाद में रविवार और सोमवार को लगातार दो दिन लॉकडाउन करने की घोषणा की।

जिसको व्यापारियों के विरोध करने के कारण जिला मजिस्ट्रेट ने सप्ताह में केवल एक दिन ही लॉकडाउन करने की घोषणा की लेकिन इसके पहले ही व्यापारियों से चर्चा किए बिना अचानक प्रशासन ने आठ दिन के लॉकडाउन की घोषणा कर दी जो गलत है और पहले ही से गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे व्यापारी वर्ग की आर्थिक हितों पर कुठाराघात है जो अब सहनशीलता की सारी हदें पार कर चुका है।

जैन ने बताया कि कोटा के एक सौ से भी अधिक व्यापारिक संस्थान शनिवार को ही देर रात तक चली बैठक में प्रशासन की ओर से लागू किए गए इस लॉकडाउन के खिलाफ अपनी मंशा प्रकट कर चुके हैं और आज भी कोटा व्यापार महासंघ ने शहर के सभी प्रतिनिधि व्यापारिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई है ताकि इस मसले पर व्यापारिक और जनहित के मद्देनजर आम सहमति बनाई जा सके। उन्होंने बताया कि कोटा में व्यापारिक वर्ग न केवल अपने व्यापारिक हित बल्कि आमजन को होने वाली परेशानी को देखते हुए इस लॉकडाउन के सख्त खिलाफ है।

जिला मजिस्ट्रेट उज्जवल राठौड का कहना है कि आम आदमी अपनी जरूरत की उपभोक्ता वस्तुएं खरीद सके, इसके लिए अपराह्न दो बजे तक किराना व्यवसाईयो को खुला रखने की छूट दी गई है और लॉक डाउन के दौरान भी दूध, सब्जी, समाचार पत्र, पेट्रोल पंप की बिक्री, अस्पताल, मेडिकल स्टोर जैसी आवश्यक सेवाओं को खुली रखने की छूट दी गई है इसलिए लोगों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं।

हालांकि प्रशासन आम आदमी की परेशानी को समझता है, लेकिन उनके ही हित में और कोरोना वायरस संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं होने के कारण इस कठोर फैसले को लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन कहा कि फुटकर व्यापारी और दैनिक पारिश्रमिक पाने वाले श्रमिक जब लॉकडाउन के कारण कुछ कमाएंगे ही नहीं तो प्रशासन द्वारा दी गई छूट के बावजूद अपने परिवार के लिए आठ दिन का राशन कैसे जुटा पाएंगे। प्रशासन को इस बारे में भी सोचना चाहिए।