लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दरिंदगी की शिकार लड़की के शव का अंतिम संस्कार परिजनों की अनुमति के बगैर रातों रात करने की जिला प्रशासन की करतूत से विपक्ष के निशाने पर आई योगी सरकार ने पीड़िता के परिजनो को आर्थिक मदद की राशि दस लाख से बढ़ा कर 25 लाख रुपए कर दी है। इसके अलावा मृतका के परिजनों को एक सरकारी नौकरी और शहर में आवास मुहैया कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हैवानियत की शिकार लड़की के पिता से बुधवार को वीडियो काल कर बातचीत की और उसके बाद मदद की घोषणा की। प्रशासन ने पीड़िता के परिजनों को दस लाख रुपए की मदद पहले ही दे दी है जबकि बचे हुए 15 लाख रूपए उन्हें जल्द उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को कनिष्ठ सहायक के पद पर सरकारी नौकरी और सूडा योजना के अंतर्गत हाथरस शहर में एक घर आवंटित किया जाएगा।
योगी ने पिता को आश्वस्त किया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई कर जल्द ही उन्हे कड़ी सजा दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि अक्षम्य अपराध की जांच के लिए तीन सदस्यीय स्पेशल जांच टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है जो एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रेषित करेगी।
गैंगरेप व मौत का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीया युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत का मामला बुधवार को शीर्ष अदालत पहुंच गया।
इस घटना की केंद्रीय जांच ब्यूरो या विशेष जांच दल से जांच कराने के निर्देश देने की मांग उच्चतम न्यायालय से की गई है। दिल्ली निवासी सत्यमा दुबे, विकास ठाकरे, रुद्र प्रताप यादव और सौरभ यादव ने यह जनहित याचिका दाखिल की है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में मामले की जांच और ट्रायल निष्पक्ष नहीं हो पाएगी, इसलिए इसे उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाए साथ ही इसकी सीबीआई या उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व वाली एसआईटी से कराई जाए।
मानवाधिकार आयोग ने योगी सरकार को नोटिस भेजा
उत्तर प्रदेश में सभ्य समाज को झकझोर देने वाली हाथरस घटना को स्वत: संज्ञान में लेते हुये राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बुधवार को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते के भीतर मामले की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
आयोग ने आधिकारिक बयान जारी कर मामले की विस्तृत रिपोर्ट भेजने के साथ पीड़िता के परिवार को पुख्ता सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि मामले की संवेदनशीलता के मद्देनजर परिवार की सुरक्षा के साथ घटना के गवाह को भी पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। दो समुदायों के बीच के इस मामले में पीडिता के परिवार को जान का खतरा है।
आयोग ने सूबे के पुलिस प्रमुख से निजी तौर पर मामले में दिलचस्पी लेने की अपेक्षा की और कहा कि मामले की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित की जाए ताकि आरोपियों को कड़ी सजा मिल सके। मौजूदा परिपेक्ष्य में जरूरी है कि गांव में निवास कर रहे दलित समुदाय की लडकी के परिजनों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हो।