रांची। बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में जमानत मिलने के बाद भी फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाने से बिहार विधानसभा चुनाव में अपने नेता की उपस्थिति की राह देख रहे राजद की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार की अदालत ने राजद अध्यक्ष यादव की ओर से चाइबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में दायर की गई जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने के बाद उन्हें जमानत दे दी। साथ ही अदालत ने यादव को निचली अदालत में दो लाख रुपए जमा कराने तथा रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) को 6 नवंबर तक यादव की मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यादव की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत से प्रार्थना की चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू यादव ने आधी सजा पूरी कर ली है। इस आधार पर उन्हें जमानत दी जाए। अदालत ने सुनवाई के बाद इस मामले में यादव की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। लेकिन, दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सुनवाई पूरी नहीं होने तक वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजद अपने अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन फिलहाल उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। ऐसा माना जा रहा है कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में यादव की आधी सजा 09 नवंबर को पूरी हो जाएगी। इसके बाद उन्हें जमानत मिल सकती है और वह जेल से बाहर आ सकते हैं लेकिन तब तक विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका होगा।
यादव की जमानत याचिका पर इससे पहले 11 सितंबर को हुई सुनवाई में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने याचिका का विरोध किया था। सीबीआई ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि श्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला मामले में सुनाई गई सभी सजाएं अलग-अलग चल रही हैं। जब तक सभी सजा एक साथ चलने का आदेश संबंधित अदालत नहीं दे देती है, तब तक सभी सजा अलग-अलग चलेंगी। सभी में आधी सजा काटने के बाद ही उन्हें जमानत मिल सकती है।
गौरतलब है कि अविभाजित बिहार के चाईबासा कोषागार से वर्ष 1992-93 में फर्जी कागजात के आधार पर 33 करोड़ 13 लाख 67 हजार 534 रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले सीबीआई की विशेष अदालत ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को जनवरी 2018 में पांच साल कारावास के साथ ही पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।