पटना। बिहार विधानसभा के लिए 28 अक्टूबर को प्रथम चरण की 71 सीटों पर होने वाले चुनाव में कई राजनेताओं ने अपनों का साथ छोड़कर परायों का हाथ दाम लिया और अपनी पूर्ववर्ती पार्टी पर ही चुनावी तीर चला रहे हैं।
जमुई जिले की जमुई सीट से पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह के पुत्र अजय प्रताप भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर इस बार राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री और राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक विजेता अंतर्राष्ट्रीय शूटर भाजपा प्रत्याशी श्रेयसी सिंह के विरुद्ध चुनावी अखाड़े में उतर आए हैं।
श्रेयसी पहली बार चुनावी रणभूमि में अपनी पारी का आगाज कर रही हैं। इस सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री जय प्रकाश यादव के भाई और निवर्तमान विधायक विजय प्रकाश यादव फिर से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर सत्ता के संग्राम में अपना जौहर दिखाने जा रहे हैं। वर्ष 2015 में राजद प्रत्याशी यादव ने भाजपा के अजय प्रताप को 8240 मतों के अंतर से पराजित किया था।
जमुई जिले की चकाई सीट से नरेन्द्र सिंह के ही पुत्र सुमित कुमार सिंह जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं और जदयू प्रत्याशी पर ही सियासी ‘तीर’ चला रहे हैं। जदयू ने संजय प्रसाद को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
वर्ष 2015 में राजद के टिकट पर निवर्तमान विधायक सावित्री देवी फिर से ताल ठोंक रही हैं। वर्ष 2015 में राजद प्रत्याशी सावित्री देवी ने निर्दलीय उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह को 12113 मतों के अंतर से परास्त किया था। बाद में सुमित सिंह जदयू में शामिल हो गए थे।
बक्सर जिले की डुमरांव विधानसभा सीट से जदयू ने पार्टी की प्रवक्ता अंजुम आरा को उम्मीदवार बनाया है, जो पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, जदयू से टिकट नहीं मिलने से नाराज निवर्तमान विधायक ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी अखाड़े में उतरकर जदयू प्रत्याशी अंजुम आरा को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था और बीएलएसपी उम्मीदवार राम बिहारी सिंह को 30339 मतों के अंतर से मात दी थी।
महागठबंधन की ओर से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के टिकट पर अजित कुमार सिंह पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं डुमरांव से महाराज कमल बहादुर सिंह के पौत्र शिवांग विजय सिंह भी निर्दलीय चुनाव लड़कर मुकाबले को रोचक बनाने में जुटे हैं।
भोजपुर जिले की बड़हरा सीट से भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद आशा देवी इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी समर में उतर आई हैं। भाजपा ने इस बार पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह को चुनावी रणभूमि में उतारा है। वर्ष 2015 के चुनाव में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने समाजपार्टी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बड़हरा सीट से राजद ने निवर्तमान विधायक सरोज यादव को चुनावी समर में फिर से उतार दिया है।
वर्ष 2015 के चुनाव में सरोज यादव ने भाजपा उम्मीदवार आशा देवी को 13308 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। सपा उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। भोजपुर जिले की जगदीशपुर सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुश्वाहा ने लोक जनशक्ति पार्टी का दामन थाम लिया और जदयू प्रत्याशी के विरोध में ही चुनावी समर में उतर आए हैं।
जदयू ने दांवा पंचायत की मुखिया सुशुशमलता कुशवाहा को चुनावी रणभूमि में उतारा है, जो पहली बार चुनाव लड़ रही है। जगदीशपुर सीट से राजद ने निवर्तमान विधायक राम विशनु सिंह को फिर से चुनावी दंगल में उतारा है।वर्ष 2015 के चुनाव में राम विशुन सिंह ने बीएलएसपी प्रत्याशी राकेश रौशन को 10195 मतों कें अंतर से मात दी थी।
कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से अंबिका सिंह राजद का टिकट नहीं मिलने के बाद बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनावी अखाड़े में दम भर रहे हैं। राजद के टिकट पर इस बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह रणभूमि में जौहर दिखाने को बेताब हैं।
वहीं भाजपा के टिकट पर निवर्तमान विधायक अशोक कुमार सिंह चुनावी समर में फिर से जलवा बिखेरने को बेताब हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह ने राजद प्रत्याशी अंबिका सिंह को 8011 मतों के अंतर से परास्त किया था।
रोहतास जिले की सासाराम सीट से वर्ष 2015 के चुनाव में राजद के टिकट पर अशोक कुमार ने जीत हासिल की थी। इस बार अशोक कुमार जदयू की टिकट पर चुनाव लड़कर राजद प्रत्याशी राजेश कुमार गुप्ता को चुनौती दे रहे हैं। राजद प्रत्याशी पहली चुनावी दंगल में अपनी पारी खेल रहे हैं।
वहीं पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया भी भाजपा का टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा के ‘कमल’ का साथ होकर लोजपा के ‘बंगला’ की शरण ले ली और इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2015 में राजद प्रत्याशी अशोक कुमार ने भाजपा प्रत्याशी जवाहर प्रसाद को 19612 मतों के अंतर से मात दी थी।
लखीसराय जिले की लखीसराय सीट से भाजपा उम्मीदवार और श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जीत हासिल की थी। भाजपा से बागी बबीता देवी इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमां रही है। वहीं महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने अमरेश कुमार अनीस को चुनावी समर में उतारा है, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
पूर्व विधायक फुलेना सिंह राजद से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोंक रहे हैं।वर्ष 2015 में भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा ने जदयू प्रत्याशी रामानंद मंडल को 6556 मतों के अंतर से पराजित किया था। रामानंद मंडल इस बार लखीसराय सीट से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
लखीसराय जिले की सूर्यगढ़ा सीट से जदयू से बागी अशोक कुमार सिंह लोजपा के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतर आए हैं। जदयू ने रामानंद मंडल को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। इस तरह अशोक कुमार सिंह अपनी पूर्ववर्ती पार्टी जदयू के उम्मीदवार पर ही सियासी ‘तीर’ चला रहे हैं। राजद ने अपने निवर्तमान विधायक प्रह्लाद यादव को चुनावी दंगल में फिर से उतारा है। वर्ष 2015 में राजद प्रत्याशी ने भाजपा उम्मीदवार प्रेम रंजन पटेल को 30030 मतों के अंतर से शिक्स्त दी थी।
शेखपुरा जिले की बरबीघा सीट से निवर्तमान विधायक सुदर्शन कुमार इस बार पाला बदलकर जदयू की टिकट पर चुनावी समर में उतर आए हैं। पूर्व सांसद राजो सिंह के पौत्र और पूर्व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री संजय कुमार सिंह के पुत्र सुदर्शन कुमार ने वर्ष 2015 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था और रालोसपा उम्मीदवार शिव कुमार को 15717 मतों के अंतर से परास्त किया था।
इस बार सुदर्शन कुमार ने जदयू का साथ छोड़कर कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया है और कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में ही चुनावी दंगल में उतर आए हैं। कांग्रेस की टिकट पर पूर्व विधायक गजानंद साही चुनावी रणभूमि में ताल ठोंक रहे हैं। दिलचस्प बात है कि गजानंद शाही ने हाल ही में जदयू का साथ छोड़कर कांग्रेस का ‘हाथ’ थाामा है। इस तरह दोनों दलों के नेता अपनी ही पूर्ववर्ती पार्टी पर तीर चला रहे हैं।
बांका जिले के धौरैया (सुरक्षित) से पूर्व सांसद और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी इस बार के चुनाव में राजद की टिकट पर चुनावी रणभूमि में जौहर दिखाने जा रहे हैं। वहीं रालोसपा ने शिवशंकर को इस सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
इस तरह भूदेव चौधरी इस बार अपनी पूर्ववर्ती पार्टी रालोसपा उम्मीदवार को चुनौती दे रहे हैं।इस सीट पर जदयू के निवर्तमान विधायक मनीष कुमार फिर से चुनावी रणभूमि में उतर आये हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में जदयू प्रत्याशी मनीष कुमार ने रालोसपा उम्मीदवार भूदेव चौधरी को 24154 मतों के अंतर से पराजित किया था।
नवादा जिले की रजौली (सुरक्षित) सीट से भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद अर्जुन राम निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में उतर आये हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक कन्हैया कुमार को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। राजद ने निवर्तमान विधायक प्रकाश बीर पर फिर से भरोसा जताते हुये उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
पूर्व विधायक बनवारी राम निर्दलीय प्रत्याशी के तौर मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं। वर्ष 2015 में राजद प्रत्याशी प्रकाश बीर ने भाजपा उम्मीदवार अर्जुन राम को कड़े मुकाबले में 4615 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी।
गौरतलब है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में राजग के घटक दलों में भाजपा, जदयू, हम और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल है। वहीं, महागबंधन में राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रथम चरण के तहत राजग में शामिल जदयू 35, भाजपा 29, हम छह और वीआईपी का एक प्रत्याशी वहीं महागठबंधन की ओर से राजद 42, कांग्रेस 21 और भाकपा-माले के आठ उम्मीदवार चुनावी संग्राम में ताल ठोक रहे हैं।