नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने राजधानी में हुए दंगे के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मुख्य आरोपियों में एक शादाब अहमद को सोमवार को जमानत देने से साफ इंकार कर दिया। लाल की हत्या गत 24 फरवरी को उस समय कर दी गई थी जब दंगा भड़कने के बाद वह अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गश्त कर रहे थे।
न्यायाधीश विनोद यादव ने 15 पन्नों के विस्तृत आदेश में शादाब की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इसका आधार उन्होंने तीन फरवरी से 24 फरवरी के बीच शादाब के संपर्काें को बनाया। दिल्ली अपराध शाखा के दयालपुर थाना में दर्ज प्राथमिकी में शादाब को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
न्यायाधीश यादव ने कहा कि उक्त अवधि के दौरान शादाब फरार आरोपियों जैसे उपासना, अतहर, तबस्सुम और सलीम खान के लगातार संपर्क में था। उन्होंने कहा कि एक अजीब बात यह भी ध्यान देने योग्य है कि हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के समय या उसके आसपास याचिकाकर्ता की लोकेशन का पता उसके मोबाइल फोन से चलता है और इस दौरान उसे तीन बार फोन भी किया था और अब यही आदमी उसका केस लड़ रहा है।
न्यायाधीश ने आगे कोई भी परामर्श देने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक संयोग हो सकता है, लेकिन महत्व के बिना नहीं। मैं टिप्पणी करने से परहेज करूंगा कि क्या यह नैतिक रूप से या नैतिकता की दृष्टि से एक वरिष्ठ वकील के लिए उचित है कि वे मामले में ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करें। आरोपी शादाब के लिए मुख्य वकील सीमा मिश्रा, शिवम शर्मा और कार्तिक मुरुकुतला हैं।
फैसले में बचाव पक्ष की दलील है कि 27 साल के आरोपी एवं कंप्यूटर साइंस में स्नातक शादाब को पुलिस ने फंसाया है। वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर का स्थायी निवासी है। वह पिछले चार साल से दिल्ली के जगतपुरी में रह रहा था और मैसर्स एनडीएस एंटरप्राइजेज में सुपरवाइज़र के रूप में काम कर रहा था।