केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने विपक्ष पर लगाया कृषि कानूनों पर भ्रम फैलाने का आरोप
जोधपुर/जयपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कृषि कानूनों का विरोध कर रही पार्टियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने दो टूक कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक जमीन खोने से परेशान होकर किसानों को भ्रमित और आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। शेखावत ने कहा कि इन कानूनों को लेकर राजस्थान का किसान खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन कर रहा है।
सोमवार को शेखावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पंजाब के किसानों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को संरक्षण देने के लिए ये कानून बनाए हैं। इन कानूनों ने किसान को आजाद किया है।
राजस्थान का उदाहरण देते हुए शेखावत ने कहा कि पश्चिम राजस्थान का किसान जीरा और ईसबगोल की खेती करता है। पहले हम जीरा और ईसबगोल गुजरात बेचने जाते थे। रास्ते में पुलिस और मंडी के अधिकारी पकड़ लेते थे। किसान को पैनल्टी देनी पड़ती थी। उपज छुड़ाने के लिए किसान को कई दिन चक्कर काटने पड़ते थे। अब किसान स्वतंत्र है कि वो कहीं भी अपनी उपज को बेच सकेगा।
केंद्रीय मंत्री ने एक और उदाहरण देते हुए बताया कि सोचो जोधपुर में मेरे खेत से दो किलोमीटर दूर ग्वार गम की प्रोसेसिंग यूनिट है, लेकिन मैं सीधा वहां ग्वार नहीं बेच सकता। मुझे मंडी में व्यापारी को बेचना पड़ता है, जबकि वो एमएसपी पर नहीं खरीदता, फिर भी मैं मजबूर हूं। मंडी का व्यापारी ग्वार को प्रोसेसर को बेचता है, अपना लाभ कमाकर। क्यों नहीं किसान को यह आजादी हो, क्यों नहीं मैं सीधा व्यापारी वाले भाव में प्रोसेसर को उपज बेच सकूं।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने स्वामीनाथन आयोग की एमएसपी समेत दूसरी सिफारिशों को बताते हुए समझाया कि कैसे ये तीनों कृषि कानून किसानों के लिए हितकारी हैं।
स्वर्ण अक्षरों में अंकित होंगे ये कानून
शेखावत ने कहा कि देशभर का किसान इन कानूनों के लिए मोदी जी का अभिनंदन कर रहा है। मैं किसान होने के नाते भी आपको जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि ये जो रिफॉर्म मोदी सरकार ने किए हैं, ये आने वाले समय में इस देश के कृषि क्षेत्र के परिदृश्य को बदलने की दिशा में उठाए गए सुनहरे कदम के रूप में अंकित किए जाएंगे। स्वर्ण अक्षरों में इन्हें लिखा जाएगा।
कांग्रेस सांसद बिना बिल पढ़े कर रहे विरोध
शेखावत ने कहा कि संसद में पंजाब के कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा था कि अगर अनुबंध पर खेती शुरू हो जाएगी तो देश का किसान अपना ट्रैक्टर बेच देगा। दस साल बाद अनुबंध खत्म होगा तो वो वापस कहां से लेकर आएगा। तब भी मैंने उनसे कहा था कि आपने बिल को ठीक से पढ़ा नहीं है, क्योंकि इसमें खेती कंपनी नहीं करने वाली। खेती किसान ही करेगा।
कोई नहीं कर सकेगा किसान से धोखा
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सांसद रवनीत सिंह ने उदाहरण दिया था कि पंजाब में एक बार पेप्सी ने आलू चिप्स की फैक्ट्री लगाई थी। किसानों से 15 रुपए किलो आलू खरीदने की बात कही, लेकिन आलू का भाव कम हो गया तो वो चूड़ी लेकर आ गए और बोले, चूड़ी में से जो आलू निकलेगा, उसी की कीमत देंगे, इससे किसान को नुकसान हुआ। तब मैंने उनसे कहा था कि हमने इसी नुकसान और धोखाधड़ी किसान के साथ न हो सके, इसी के लिए कानून लेकर आए हैं। कानून में साफ है कि प्रोसेसर या कंपनी को करार की पालना सुनिश्चित करनी ही पड़ेगी।