अजमेर। राजस्थान में अजमेर में स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह एवं आस पास वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लॉकडाउन से बंद पड़ी फूलों की दुकानों को खोलने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार मिशन से जुड़े मुस्लिम वर्ग एवं खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान, अंजुमन यादगार शेखजादगान, दरगाह कमेटी ने सामूहिक रूप से जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन देकर दुकानों को खोले जाने की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि दरगाह कोई ताजमहल नहीं जिसे अकीदतमंद आए और देखकर लौट जाए। दरगाह आस्था और अकीदत का केंद्र है और जब तक गरीब नवाज की मजार शरीफ पर चादर, फूल एवं तवर्रुक पेश न किए जाए तब तक उसकी हाजिरी अधूरी मानी जाती है।
ऐसे में सरकार से मांग की गई कि फूलों की दुकानों को खोलने की इजाजत दी जाए। साथ ही चादर, फूल, तवर्रुक की बिक्री पर रोक हटाई जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आकर यहां रोजगार भी पाते हैं लिहाजा सरकार लॉकडाउन से बंद इस बिक्री को पुनः शुरू करने की मंजूरी प्रदान करें।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन से भी पहले 20 मार्च से ही जायरीन का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था जिसे अनलॉक के दौरान गत सात सितंबर से खोल दिया गया। अब दरगाह शरीफ में जायरीनों की आवक तेज हो रही है लेकिन चादर, फूल, प्रसाद आदि पर पाबंदी बरकरार है जिसके चलते हजारों लोगों के सामने रोजी रोटी का भी संकट बना हुआ है।