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त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक - Sabguru News
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त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

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त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर गुरुवार को रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सीबीआई जांच के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। न्यायालय ने सभी पक्षकारों को नोटिस भी जारी किए। खंडपीठ ने नोटिस के जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

हालांकि न्यायालय ने दो पत्रकारों के खिलाफ दायर प्राथमिकी रद्द किए जाने के मामले में कुछ नहीं बोला। सुनवाई के दौरान एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने दलील दी कि मुख्यमंत्री इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने रावत को सुने बिना उनके खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दे दिए, जबकि याचिका में ऐसी कोई मांग ही नहीं की गई थी।

वेणुगोपाल ने कहा कि एकतरफा सुनवाई करके आदेश देना न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के खिलाफ है। उच्च न्यायालय को आदेश देते वक्त इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए था कि उसका यह आदेश सरकार को अस्थिर करने वाला हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इस आदेश के बाद अब मुख्यमंत्री के इस्तीफे के मांग होने लगी है। उन्होंने कहा कि यह स्थापित व्यवस्था है और कई पुराने फैसले भी हैं कि बिना किसी को सुने उसके खिलाफ जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता।

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मामले में तथ्य रखने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री की ओर से पैरवी कर रहे हैं और कुछ तथ्य रखना चाहते हैं, लेकिन न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि खंडपीठ ने एटर्नी जनरल को सुन लिया है और अब अलग से किसी दलील की फिलहाल जरूरत नहीं है। उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने वालों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की।

न्यायालय ने कहा कि ऐसा आदेश कैसे पारित हो सकता है? मुख्यमंत्री इस मामले में पक्षकार ही नहीं थे। उनके खिलाफ जांच की कोई मांग भी नहीं थी। यह हैरान करने वाला आदेश है। इसलिए सीबीआई जांच के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी जाती है, साथ ही सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किये जाते हैं। चार सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा।

गौरतलब है कि दो पत्रकारों उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सोमवाल ने अपने खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दायर प्राथमिकी निरस्त करने की मांग को लेकर अलग-अलग उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जहां से उन्हें राहत मिल गयी थी। शीर्ष अदालत ने आज पत्रकारों को मिली राहत पर कोई टिप्पणी नहीं की।