जयपुर। राजस्थान में गुर्जर नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने भरतपुर जिले में गुर्जर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला एवं उनके पुत्र विजय सिंह बैंसला पर अति पिछड़ा वर्ग युवाओं से मांग उठाने के लिए करोड़ों रुपए की धन उगाही करने का आरोप लगाते हुए कहा कहा है कि यह धन वापस नहीं करना पड़े, इसलिए वे नए सिरे से समझौता करना चाहते हैं।
गुर्जर ने आज सोशल मीडिया के जरिए कहा कि बैंसला एवं उनके पुत्र 80 गांव नहारा क्षेत्र के पंच पटेलों के द्दारा सरकार से किए गए समझौते को रद्द कर, नए सिरे से समझौता इसलिए लिखवा रहे हैं, क्योंकि इन्होंने एमबीसी युवाओं से मांग उठाने के लिए करोड़ों रूपए की धन उगाही की है, उसे वापस नहीं देनी पड़े, ये डर लग रहा है।
उन्होंने कहा कि बैंसला के पुत्र एमबीसी युवाओं से उनकी मांग उठाने की एवज़ में कर्नल बैसला टृस्ट के नाम पर धन उगाही कर रहा है, सरकार के सामने वह ही मांग उठाते हैं जिसका पैसा मिल गया हो, 80 गांव नहारा क्षेत्र के पंच-पटेलों के साथ मैंने एक बार वार्ता की तो मैं दलाल हो गया, तेरह साल से कौन दलाली कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कर्नल बैसला एवं उनके पुत्र से पुराने संघर्ष के साथी इसलिए अलग हो गए, क्योंकि ये दोनों बाप-बेटे आरक्षण के नाम पर लोगों से धन उगाही का काम करने लग गए। यदि बाप-बेटे में दम और हिम्मत है तो कर्नल बैसला फ़ाऊंडेशन ट्रस्ट का खाता सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 1252 एमबीसी कर्मियों को नियमित वेतन श्रृंखला के समकक्ष समस्त परिलाभ देने की मांग उठाने के लिए कर्नल बैसला के पुत्र ने इन कर्मियों से प्रत्येक से 10-10 हज़ार रुपए कर्नल बैसला फ़ाऊंडेशन ट्रस्ट में लिए।
उन्होंने कहा कि जो लोग बैकलॉग की परिभाषा को नहीं समझते जिस प्रकार नोशनल की परिभाषा को नहीं समझा था। इनकी असफलता को मैंने सफलता में बदला तथा 5 जनवरी 2011 के समझौते के बिन्दु 3(ख) काल्पनिक स्थान पर सुरक्षित करवाया, चूंकि उस समय एसबीसी विधेयक कोर्ट में विचाराधीन था। आज भी उसकी एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में पैण्डिग हैं।
एसबीसी आरक्षण विधेयक जो कोर्ट में विचाराधीन है उसका निर्णय पक्ष में आने के बाद तीन माह में चार प्रतिशत रिजर्व पदों को भरा जाएगा। उन्होंने कहा कि एसबी सिविल कनटेम्प्ट रिट पिटिशन संख्या 330/2018 के अनुसार प्रथम नियुक्ति से भर्ती प्रक्रिया पूरी मान ली जाएंगी।
एमबीसी आरक्षण की प्रक्रियाधीन भर्तियों में ये आदेश पिछले दो साल से लागू है। बैंसला एवं उनके पुत्र को इस आदेश की कॉपी दे दी गई थी ऐसा हमें इस वार्ता में बताया गया। उन्होंने कहा कि सरकार से 80 गांव नहारा क्षेत्र के पंच पटेलों ने वार्ता कर समझौता करने का विरोध बैंसला एवं उनके पुत्र इसलिए कर रहे हैं, उनके द्वारा धोखा देने का आम गुर्जर को पता ना चल जाए। उन्होंने कहा कि सरकार से समझौता कर एमबीसी आरक्षण के नाम पर जो युवाओं का शोषण चल रहा है उसे समाप्त करने का काम किया गया।
उन्होंने कहा कि जो आज कथित बैकलॉग की मांग कर रहे हैं, छह मई 2010 को चार प्रतिशत पद नोशनल रूप से सुरक्षित रखे जाएंगे ताकि अदालत से निर्णय के बाद आरक्षण का लाभ सुनिश्चित रहे। नोशनल का अर्थ काल्पनिक इसी तरह बैकलॉग भी काल्पनिक है और रहेगा। उन्होंने कहा कि एमबीसी युवाओं को सब्ज़बाग़ दिखाने से बाज आना चाहिए। उन्होंने कहा कि खुलासा और होगा।
गुर्जर ने कहा कि 80 गांवों के पंच पटेलों एवं सरकार से वार्ता में समझौते के बिन्दु संख्या तेरह लिखित में ले लिया हैं। उन्होंने कहा कि पिछले चौदह साल से तत्कालीन सरकारों से समझौतों के नाम पर सौदेबाजी की हो, गुर्जर समाज के साथ धोखा कर अपनी राजनीतिक हित साधने का काम किया हो, वे लोग आज 80 गांव के पंच-पटेलों के समझौते पर उंगली उठा रहे है। उन्होंने काह कि एक बार कथित बैकलॉग की मांग करने वालों को यह समझौता पढ़ लेना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि गुर्जर आंदोलन शुरु होने से पहले गुर्जरों के 41 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के साथ वार्ता कर समझौता किया था। इसमें कर्नल बैंसला शामिल नहीं हुए थे और गत एक नवंबर से आंदोलन शुरु कर दिया गया था।