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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले पर सोनिया, राहुल की चुप्पी! - Sabguru News
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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले पर सोनिया, राहुल की चुप्पी!

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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले पर सोनिया, राहुल की चुप्पी!

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने करीब तीन हजार करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में कांग्रेस के नेताओं के करोड़ों रुपए की रिश्वत लिए जाने के खुलासे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर दबाव बढ़ाते हुए आज पूछा कि उनकी चुप्पी को क्या समझा जाए।

भाजपा प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने यहां पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश जागरूक होता जा रहा है। इस परिवार को जवाब देना चाहिए। रक्षा सौदों की दलाली के भुगतान को छिपाने के लिए 100-200 शेल कंपनियां बना कर रखी गयीं थी ताकि कोई असली लेनदार को नहीं पहचान सके, लेकिन हम असली चेहरे तक पहुंचेंगे। यह मोदी सरकार का संकल्प है।

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में जो आरोपपत्र दाखिल किया है, उसके अनुसार 3000 करोड़ रुपए के अगस्ता-वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले के मामले में गवाह राजीव सक्सेना ने कई बड़े खुलासे किए हैं। राजीव सक्सेना ने इस मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे बकुल नाथ, नकुल नाथ और उनके भतीजे रतुल पुरी के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और सोनिया गांधी के विश्वस्त अहमद पटेल का नाम भी लिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस सौदे में सात करोड़ यूरो की रिश्वत ली गई।

राठौड़ ने कहा कि रक्षा सौदों में दलाली का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। कांग्रेस शासन में हुआ ऐसा एक भी रक्षा सौदा नहीं है जिसमें कांग्रेस पार्टी या उसके कुछ नेताओं का नाम नहीं आया हो। जीप घोटाला, बोफोर्स घोटाला, टाटा ट्रक घोटाला, स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला से लेकर अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला तक हर रक्षा सौदे में कांग्रेस नेताओं के दलाली लिए जाने की बात सामने आई जिसकी मीडिया रिपोर्टों ने सुर्खियां बटोरी।

कल भी हमने कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस घोटाले में अपने बड़े नेताओं का नाम आने पर स्पष्टीकरण और जवाब देने को कहा था लेकिन कांग्रेस खामोश है। इस चुप्पी का क्या मतलब समझा जाए?

भाजपा प्रवक्ता ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज फिर एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार में विस्तार से यह बात सामने आई है कि किस तरह फर्जी कंपनियों द्वारा रिश्वत की मोटी रकम को कुछ लोगों में बांटा गया जिनमें कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के नाम हैं।

उन्होंने कहा कि मैं आज पुनः कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस पर सवाल पूछता हूँ कि वे अपने नेताओं के नाम सामने आने पर क्या कहेंगे। मिनट-मिनट पर ट्वीट करने वाले कुछ कहेंगे भी या कि चुप ही रहेंगे। वैसे भी कांग्रेस के पास कहने को कुछ भी नहीं है क्योंकि कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और ये दोनों शब्द पर्यायवाची हो गए हैं।

राठौड़ ने कहा कि देश जानना चाहता है कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं का नाम सामने आने पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का क्या कहना है? आखिर क्या बात है कि हर रक्षा सौदे में कांग्रेसी नेताओं की दलाली की बात सामने आती है? देश की सुरक्षा के साथ कांग्रेस का खिलवाड़ दुर्भाग्यपूर्ण है और देश की जनता कांग्रेस पार्टी को कभी भी माफ़ नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि ईडी की चार्जशीट में राजीव सक्सेना के बयानों पर आधारित 1000 पृष्ठ के सरकारी दस्तावेज, बैंक स्टेटमेंट्स, ईमेल चैट्स और फर्जी कंपनियों के विवरणों के अध्ययन के बाद खुलासा हुआ है कि हवाला कारोबार और फर्जी कंपनियों का एक बड़ा नेटवर्क था, जिससे इस मामले के सभी आरोपित जुड़े हुए थे।

राजीव सक्सेना ने बताया कि किस तरह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग-2) द्वारा रद्द कर दिए गए इस करार की दलाली की रकम को अन्य कंपनियों और फर्जी कंपनियां बनाकर उनमें निवेश किया गया था। इनमें राजीव सक्सेना की इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज और क्रिश्चियन मिशेल की ग्लोबल सर्विसेज प्रमुख हैं।

मिशेल को दिसंबर 2018 में भारत लाया गया था और वह तभी से जेल में है। सक्सेना ने खुलासा किया है कि इनमें से बड़ी रकम कई ऐसे नेताओं और अधिकारियों को भी दी गई, जो उस वक्त सरकारी निर्णयों को प्रभावित करने की क्षमता रखते थे। इन्हें निवेश के माध्यम से भारत में लाया गया और अवैध लेन-देन का एक नेटवर्क बन गया।

राठौड़ ने कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 17 सितंबर को दायर आरोप में बताया है कि सन 2000 में सक्सेना के पास इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज के 99.9 फीसदी शेयर थे। उसने गौतम खेतान के साथ मिल कर अपनी कंपनी के बैंक खाते में अगस्ता-वेस्टलैंड से 1.24 करोड़ यूरो प्राप्त किए थे। इसके बाद इस रकम को आगे दलालों, नेताओं और अधिकारियों में बांटी गयी। इसमें दलाल सुषेण मोहन गुप्ता और कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी ने प्रमुख भूमिका निभाई।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राजीव सक्सेना ने ईडी से कहा कि जैसा कि मैट्रिक्स ग्रुप लिमिटेड (सक्सेना की कंपनी) द्वारा भारत में ऑप्टिमा इंफ्रास्ट्रक्चर पी लिमिटेड में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडी रिगेल पावर लिमिटेड के माध्यम से किए गए निवेश के संबंध की बात है, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और ग्लोबल सर्विसेज से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धन प्राप्त हुआ है।

इस निवेश का एक हिस्सा उनके (रतुल पुरी) द्वारा ग्लोबल सर्विसेज एफजेडसी के प्रेषणों से व्यवस्थित किया गया था जिसे अगस्ता वेस्टलैंड से धन प्राप्त हुआ था, जिससे मैं उस समय अनजान था।

उन्हाेंने कहा कि सक्सेना ने गुप्ता और पुरी दोनों को विस्तृत रूप से बताया और नौ अक्टूबर, 2019 को पूछताछ के दौरान उनका वर्णन किया। उन्होंने कहा कि इन तीनों ने मोजर पावर की परियोजनाओं के लिए सौर पैनलों में व्यापार सहित विभिन्न व्यापार प्रस्तावों पर चर्चा की। वे मोजर पावर और आपूर्तिकर्ताओं के बीच ‘मध्यस्थ’ के रूप में कार्य करने वाले थे।

सक्सेना ने ईडी को एक फ्लो चार्ट दिया, जिससे उनकी कंपनी मिडास मेटल्स इंट लिमिटेड ने मध्यस्थ इकाई के रूप में काम किया। सक्सेना ने जिस दूसरे संयुक्त उद्यम पुरी की कंपनी ऑप्टिमा इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में एक निवेश ‘संरचना’ के बारे में बताया कि जो एक पनबिजली परियोजना में निवेश कर रहा था।

आंशिक रूप से घाटे को कवर करने के लिए, अक्टूबर 2014 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसके द्वारा रतुल पुरी की कंपनी, इक्विनॉक्स ओशन होल्डिंग्स लिमिटेड की वित्तीय संपत्तियों को मैट्रिक्स समूह में स्थानांतरित किया जाने का प्रावधान था।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 2019 में पुरी को बैंक धोखाधड़ी धोखाधड़ी के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत गिरफ़्तार किया गया था। हेलिकॉप्टर घोटाले में पूरी जांच एजेंसी के सामने पेश हुए थे, जिसके बाद जुलाई 2019 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। इसके बाद सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए उनके और अन्य के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।

एक मामला मामला सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा अपने साथ 354 करोड़ की धोखाधड़ी (फ्रॉड) किए जाने के आरोप का था। राजीव सक्सेना को जुलाई 2019 में दुबई से प्रत्यर्पित कर लाया गया था। वह फिलहाल जमानत पर बाहर है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी 385 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क करने के साथ-साथ उनसे पूछताछ भी की थी।

इसके अलावा राजीव सक्सेना ने एक ‘प्रिस्टिन रिवर इन्वेस्टमेंट्स’ नामक कम्पनी का भी नाम लिया है। उसने और गुप्ता ने इसी कम्पनी के माध्यम से ‘ब्रिज फंडिंग’ प्राप्त किया। राजीव सक्सेना को जुलाई 2019 में दुबई से प्रत्यर्पित कर लाया गया था। वह फ़िलहाल जमानत पर बाहर हैे। प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी 385 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क करने के साथ-साथ उनसे पूछताछ भी की थी।