नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पुलिस सब-इंस्पेक्टर द्वारा मारपीट किये जाने की बिहार के एक जिला जज की शिकायत की सुनवाई दो सप्ताह के लिए गुरुवार को टाल दी और याचिकाकर्ता से आरोपी सब-इंस्पेक्टर को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।
पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर आरोप है कि उसने औरंगाबाद के जिला जल डॉ. दिनेश कुमार प्रधान के ऊपर हमला किया था। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विशाल तिवारी को पहले याचिका में संशोधन करके संबंधित पुलिस अधिकारी को पक्षकार के तौर पर शामिल करने का निर्देश दिया।
तिवारी ने दलील दी कि जब कभी आम आदमी पर पुलिसिया अत्याचार होता है तो वह अधीनस्थ न्यायपालिका के पास जाता है। इस मामले में अधीनस्थ न्यायपालिका पर ही हमला किया गया है।
इस पर न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि जिस व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाये गये हैं उसे तो याचिका में पक्षकार ही नहीं बनाया गया। न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि पहले याचिका में संशोधन करें और तब उनके समक्ष आएं। इसके साथ ही मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी गई।
गौरतलब है कि गत 21 अक्टूबर को वरिष्ठ अतिरिक्त जिला जज डॉ. प्रधान के साथ टाउन पुलिस स्टेशन औरंगाबाद के सब-इंस्पेक्टर प्रणव ने बेअदबी की थी। इसके बाद एसोसिएशन फॉर जजेज ने शीर्ष अदालत को पत्र लिखकर इस घटना की निंदा की थी और दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी।