नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वैश्विक जलवायु सम्मेलन को संबोधित करेंगे। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को यहाँ बताया कि जलवायु परिवर्तन की रफ्तार कम करने के उद्देश्य से किये गये पेरिस समझौते को 12 दिसंबर को पाँच साल पूरे होंगे। इस मौके पर होने वाले वैश्विक जलवायु सम्मेलन को मोदी संबोधित करेंगे।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने की दिशा में भारत द्वारा किये गये उपायों से दुनिया को अवगत करायेंगे। साथ ही वह कार्बन उत्सर्जन को लेकर देश का पक्ष भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखेंगे।
जावडेकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पेरिस समझौता 01 जनवरी 2021 से लागू होगा। इसमें सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास के साथ उत्सर्जन बढ़ने की दर में 2030 तक 33 से 35 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य भारत ने अपने लिए तय किया था। हम समझौता लागू होने से पहले ही उत्सर्जन की दर 21 फीसदी कम कर चुके हैं।
उन्होंने बार-बार दोहराया कि भारत जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेवार नहीं है, इसके बावजूद हम जलवायु परिवर्तन नियंत्रण के लिए पूरी गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं। ऐतिहासिक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान मात्र तीन प्रतिशत रहा है जबकि अमेरिका का 25 प्रतिशत, यूरोपीय संघ का 22 प्रतिशत और चीन का 13 प्रतिशत योगदान रहा है। वर्तमान में कुल उत्सर्जन में भारत का योगदान 6.8 फीसदी है जबकि अमेरिका का योगदान 13.3 प्रतिशत, चीन का 30 प्रतिशत और यूरोपीय संघ तथा ब्रिटेन का 8.7 प्रतिशत है।
जावडेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर इस साल जारी चार अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत उन चंद देशों में है जिनके कारण धरती का तापमान दो डिग्री सेल्सियस या उससे कम बढ़ने की संभावना है। क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट 2020 के अनुसार पेरिस समझौते का पालन करने वाला भारत एक मात्र देश है।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन, लीड-आईटी और मिशन इनोवेशन की शुरुआत में पहल की है। साथ ही हमने बंजर हो चुकी 2.60 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को वर्ष 2030 तक पुन: उपजाऊ बनाने का लक्ष्य अपने लिए निर्धारित किया है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है जिसमें 89.41 गीगावाट क्षमता विकसित की जा चुकी है। सौर ऊर्जा के 100 गीगावाट लक्ष्य में से 36.31 गीगावाट की क्षमता स्थापित हो चुकी है। पवन ऊर्जा के 60 गीगावाट लक्ष्य में से 38.26 गीगावाट का लक्ष्य हासिल हो चुका है। साथ ही जैव ईंधन के 10 गीगावाट का लक्ष्य रखा गया था जो पूरा हो चुका है। इस समय जैव ईंधन की क्षमता 10.14 गीगावाट है।