सबगुरु न्यूज- सिरोही। ईको सेंसेटिव ज़ोन के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जोनल मास्टर प्लान बन जाने और बिल्डिंग बायलॉज के लागू हो जाने के बाद भी यहां के निर्माण मरम्मत की इजाजत नहीं दिए जाने के कारण अब आबू ने संघर्ष का रास्ता अख्तियार करने का निर्णय किया है।
रघुनाथ मंदिर में सोमवार को हुई आबू संघर्ष समिति में मंगलवार को अपनी मांगों के सम्बंध में ज्ञापन दिया जाएगा। अगले चरण में सिरोही जिला मुख्यालय पर संघर्ष समिति एक दिन धरना देगी।
समिति के अध्यक्ष सुनील आचार्य की मौजूदगी में संघर्ष समिति ने इस बात पर चर्चा की कि बिल्डिंग बायलॉज लागू करने और पानी के पानी टैंकर के मामले में संघर्ष के बाद आई शिथिलता को छोड़कर फिर से सक्रियता दिखाई जाएगी। इसके तहत पिछले महीने संघर्ष समिति द्वारा दिये गए ज्ञापन की प्रगति के सम्बंध में मंगलवार को 11 बजे आयुक्त से मिलकर चर्चा की जाएगी।
इसमे समिति मंगलवार को निर्माण मरम्मत की इजाजत के लिए भवन निर्माण समिति की बैठक आयोजित करने, एनजीटी के जिस आदेश के हवाले से नगर पालिका प्रशासन माउंट आबू में हर कार्य में आपत्ति कर रहा है उसकी प्रतिलिपी लेने और उस पर चर्चा करने, पट्टों के सम्बंध में चर्चा होगी।
संघर्ष समिति में ये निर्णय किया गया कि तय समय में संघर्ष समिति द्वारा माउंट आबू के निवासियों के अधिकारों के सम्बंध में प्रशासन कोई करवाई नहीं करता है तो सबसे पहले जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया जाएगा।
बैठक में ये भी निर्णय हुआ कि एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से भी मिलेगा और उन्हें यहां की वस्तुस्थिति से अवगत करवाएगा। बैठक में इस बात पर भी आत्ममंथन हुआ कि संघर्ष समिति की गतिविधि को तेज करते हुए अब फिर से गांव स्तर पर बैठकें आयोजित करके लोगों अपने अधिकारों के लिए फिर से संघर्ष का हिस्सा बनने के किये संघर्ष समिति आह्वान करेगी।
समिति में आमूलचूल बदलाव करके नए जोश के साथ काम करने पर भी सहमति बनी। बैठक में नारायण सिंह, भरत लालवानी, आनन्द कुमार, महेंद्र परमार, भरत राठौड़, भंवर सिंह, प्रशांत कुमार, एचएम परिहार समेत कई पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे।
-कानूनी रास्ता भी अख्तियार करने पर भी चर्चा
अक्टूबर 2018 को माउंट आबू बन्द के दौरान आयोजित धरने की तरह ये बात फिर सामने आई कि माउंट आबू के लोगों को निर्माण मरम्मत की इजाजत मिलने की राह में लॉबिंग करके रोड़े अटकाये जा रहे हैं।
बैठक में ये बात सामने आई कि माउंट आबू के लोगों की राह में कानून की आड़ में अटकाए जा रहे कामो को अब कानूनी तरीके से जवाब देने का रास्ता अख्तियार करने पर भी विचार किया गया। इसके तहत एनजीटी और हाईकोर्ट में भी आबू की जनता का पक्ष रखने पर चर्चा हुई।
-दो साल पहले बन्द हुआ था माउंट आबू
माउंट आबू के लोगों की समस्या को लेकर अक्टूबर 2018 में बिल्डिंग बायलॉज लागू करने को लेकर बन्द रखा गया था। इसके बाद पिंडवाड़ा में हुई सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोकसभा की आचार संहिता लागू होने से पहले यहां के बायलॉज।को लागू करने की घोषणा की थी। ये लागू भी हो गया, लेकिन अफसरशाही के कारण यहां के लोगो को वो राहत नहीं मिल या रही है, जिसके लिए 2 साल पहले आबू बन्द रखा गया था।