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विकास विरोधी गहलोत सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए : कैलाश चौधरी - Sabguru News
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विकास विरोधी गहलोत सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए : कैलाश चौधरी

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विकास विरोधी गहलोत सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए : कैलाश चौधरी

बाड़मेर। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने राजस्थान की गहलोत सरकार को विकास विरोधी बताते हुए कहा है कि इसके कुशासन से प्रदेश की जनता तंग आ चुकी है, जिसे बर्खास्त कर देना चाहिए।

चौधरी शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र बालोतरा एवं पचपदरा के दौरे के दौरान यह मांग की। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ है। राजस्थान का आमजन इस विकास विरोधी कांग्रेस सरकार के कुशासन से तंग आ चुका है, इसलिए हम गहलोत सरकार को बर्खास्त करने की मांग करते हैं, क्योंकि अशोक गहलोत सरकार युवाओं एवं किसानों की भी विरोधी है।

इस वादाखिलाफी करने वाली सरकार ने युवाओं को कोई रोजगार नहीं दिया और किसानों का लोन आज तक माफ नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गहलोत सरकार में कानून व्यवस्था का हाल बेहाल है। महिला अपराधों और दलित अत्याचार में वृद्धि हुई है, वहीं एक रिर्पोट के अनुसार राजस्थान भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों में नंबर वन पर हो गया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। कांग्रेस के लिए किसानों का ऋण माफी मुद्दा महज नारा बनकर रह गया है। बेरोजगार युवाओं को सपने दिखकर कांग्रेस सत्ता में आई है। चुनाव के वक्त बेरोजगार युवाओं को 3500 रुपए बेरोजगार भत्ता प्रति माह देने का वादा किया था, जो अभी तक बेरोजगार युवाओं के खाते में नहीं पहुंचा है।

उन्होंने कहा कि राज्य की जनता से हर मोर्चे पर छलावा कर सत्ता में आई गहलोत सरकार ने अपने एक वर्ष के शासन में आमजन, किसानों, मजदूरों और नौजवानों का जीवन कष्टमय हो गया है। राज्य के 59 लाख किसानों को 99 हजार 995 करोड़ का कर्जा 10 दिन में माफ करने का वादा किया था। आज कर्ज से त्रस्त दर्जनों किसानों की आत्महत्या कांग्रेस सरकार के माथे पर कलंक है।

चौधरी ने कहा कि कांग्रेस किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रही है। दिल्ली के आसपास जमा हुए किसानों को साजिश के तहत गुमराह किया जा रहा है। सत्ता में रहते हुए जो लोग किसानों का भला नहीं कर सके, वे अब उन्हें गुमराह कर मुक्त बाजार का लाभ उठाने से रोकने के लिए भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के दिमाग में एक तरह का डर बैठाया जा रहा है कि अगर नए कृषि कानून लागू हुए तो उनकी जमीनों पर दूसरे लोग कब्जा कर लेंगे।