नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार किसानों की बात मानने को अगर तैयार है तो उसे दोनों पक्षों में हुए समझे को कानूनी दर्जा देना चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार अगर किसानों की मांग मानती है और किसान सरकार से बातचीत के लिए तैयार होते हैं तो समझौतों को कानून में शामिल करना चाहिए। कानून में सिर्फ इतना ही लिखना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी खत्म नहीं होगा और मंडिया पहले की तरह काम करेंगे। किसानों की इन कुछ मांगों को अगर मान लिया जाता है तो आंदोलन समाप्त हो जाएगा।
पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला तथा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार को किसानों को शाब्दिक आश्वासन देने या उनकी मांग को लिखित रूप में मानने की बजाय उसे कानूनी जामा पहनाना चाहिए। इससे किसान का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा और आंदोलन भी खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ आश्वासन देकर किसानों की मांग को कानून में शामिल करने से बचना चाहती। किसानों को लिखित आश्वासन का कोई औचित्य नहीं है और ना ही इसका कोई वैल्यू है। सरकार को यदि किसानों की मांग माननी है तो उसे विधेयक में शामिल करना चाहिए और संसद से विधेयक को पारित कराना चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को भटका हुआ बताकर आंदोलनकारियों को गुमराह करना चाहती हैं। वह इस किसान आंदोलन को कुछ राजनीतिक दलों और झोलाछाप लोगों के भड़काने का परिणाम बताकर सिर्फ पंजाब तथा हरियाणा के मुट्ठीभर किसानों का आंदोलन कहकर दूर भागने का प्रयास कर रही है लेकिन हकीकत यह है कि इस आंदोलन में देशभर के किसान शामिल हैं।
कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के साथ अपने पहले कार्यकाल से ही धोखा किया है। तब वह भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन लेकर आई जिसे जबरदस्त विरोध के कारण उसे कर नही पाई। अब दूसरी बार वह किसान विरोधी तीन काम लेकर आई है और किसानों के आंदोलन को देखते हुए उसे इन कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।