गांधीनगर। गुजरात सरकार ने आज अपनी नयी सौर ऊर्जा नीति की घोषणा की जो पांच वर्ष यानी 2025 तक प्रभावी रहेगी।
आज जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इसके तहत राज्य में कोई भी व्यक्ति, विकासकर्ता या उद्योग अपनी जमीन या परिसर में बिना किसी सीमा के अपनी जरूरतों के अनुसार सौर ऊर्जा परियोजना (सोलर प्रोजेक्ट) स्थापित कर सकेगा।
इसके लिए वर्तमान में मंजूर किए गए लोड / करार मांग (कॉन्ट्रैक्ट डिमांड) की 50 फीसदी की सीमा को हटा दिया गया है। ग्राहक अपनी छत, स्थान या परिसर में बिजली उत्पादन और खपत के लिए थर्ड पार्टी को लीज पर भी दे सकेगा।
विद्युत कंपनियों को पीपीए के लिए दी जाने वाली सिक्योरिटी डिपॉजिट की रकम प्रति मेगावाट 25 लाख रुपए से घटाकर 5 लाख रुपए प्रति मेगावाट की गयी है।
यह नीति 31 दिसंबर 2025 तक प्रभावी रहेगी और इसके तहत स्थापित सोलर प्रोजेक्ट के लाभ 25 वर्ष की अवधि के लिए प्राप्त किए जा सकेंगे एक से अधिक ग्राहकों का समूह अपने कैप्टिव उपयोग के लिए सामूहिक पूंजीनिवेश से सोलर प्रोजेक्ट स्थापित कर उससे उत्पन्न होने वाली बिजली की खपत अपने पूंजीनिवेश के अनुपात में कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इसकी घोषणा ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल की मौजूदगी में नयी नीति की घोषणा करते हुए कहा कि सौर ऊर्जा के चलते ऊर्जा के परंपरागत स्रोत जैसे कोयला आधारित बिजली उत्पादन घटेगा और पर्यावरण अनुकूल हरित और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा।