अजमेर। शिक्षाविद व इतिहासकार डाॅ. नवल किशोर उपाध्याय के आकस्मिक निधन के बाद भारतीय इतिहास संकलन समिति अजमेर, सम्राट पृथ्वीराज समारोह समिति, महाराजा दाहरसेन समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक आनलाइन श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।
श्रद्धांजलि सभा में पूर्व सांसद ओंकारसिंह लखावत ने कहा की डाॅ. उपाध्याय अजमेर के इतिहास में नक्षत्र के समान थे। वे इतिहास के चलते फिरते शब्दकोष थे। लखावत ने उपाध्याय द्वारा इतिहास के क्षेत्र में विशेषकर पृथ्वीराज चौहान व महाराजा दाहरसेन के इतिहास के बारे में किए गए कार्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया।
शिक्षाविद प्रो. शिवदयाल सिंह ने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि उपाध्याय साहब जब महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय में शोध निदेशक के पद पर कार्यरत थे, तो उन्होंने कई नवाचारों का प्रयोग करते हुए विभिन्न ऐतिहासिक गोष्ठियों का आयोजन करवाया।
इतिहासकार व शिक्षाविद पीसी चांदावत ने उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बताया कि उपाध्याय जी ने भारतीय इतिहास संकलन समिति के द्वारा अजमेर में कई सफल गोष्ठियों का आयोजन करवाया और प्रदेश के बाहर भी कई गोष्ठियों में वक्ता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कंवल प्रकाश ने कहा कि इतिहासकार डाॅ. उपाध्याय को अजमेर के इतिहास में हमेशा एक इतिहास वक्ता के रूप में जाना जाएगा।
पारिवारिक सदस्य ललिता शर्मा ने डाॅ. उपाध्याय के जीवन से सम्बन्धित अनुभवों को कविता के माध्यम से व्यक्त कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी पु़त्री सोनल व दामाद ने भी अपने जीवन अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता डा. हरीश बेरी ने किया।