नई दिल्ली। किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर अड़े रहने के कारण बेनतीजा रही।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद कहा कि बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि किसान संगठन अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कई वैकल्पिक प्रस्ताव दिए जाने के बावजूद किसान संगठन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों को लेकर प्रतिबद्ध है। कृषि सुधार कानून किसानों के अच्छे मुनाफे के पक्षधर हैं। सरकार किसानों की सभी शंकाओं के समाधान के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि अब बैठक की कोई तिथि तय नहीं की गई है, यदि किसान संगठन कृषि सुधार कानूनों को एक से डेढ़ वर्ष तक स्थगित रखने के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद किसी फैसले पर पहुंचते हैं तो सरकार बातचीत करने को तैयार है।
तोमर ने कहा कि कुछ लोग किसान आंदोलन का राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों को सबसे बेहतर प्रस्ताव दे दिया है, लेकिन कुछ ताकतें चाहती हैं कि आंदोलन कभी खत्म ही न हो और इसका कोई बेहतर नतीजा न निकल सके।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी इसी मंशा से काम करती रहेगी। पंजाब और कुछ अन्य राज्यों के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिशें हुईं कि जनता और किसानों के बीच भ्रम फैले।
कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की कोशिश थी कि किसान संगठन सही दिशा में विचार करें, जिसके लिए 11वें दौर की बैठक की गई, लेकिन किसान संगठन कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने उन्हें कई प्रस्ताव दिए लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता।