जयपुर। राष्ट्रध्वज राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। उसका योग्य मान रखना, यह राष्ट्राभिमान का लक्षण है। राष्ट्रध्वज हमें त्याग, क्रांति, शांति एवं समृद्धि जैसे मूल्यों की शिक्षा देता है। उत्साह के आवेश में राष्ट्रध्वज का अनावश्यक एवं अनुचित उपयोग करते समय हम इन मूल्यों को ही अपने पैरोंतले रौंद रहे हैं, यह सदैव स्मरण रखिए।
राष्ट्रध्वज का होने वाला अपमान रोकना, यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए लडने वाले स्वातंत्र्यवीरों की एवं क्रांतिकारियों का स्मरण कर उनके जिन गुणों के कारण उन्होंने स्वतंत्रता-संग्राम किया, उन गुणों को आत्मसात कर उसीनुसार आचरण करने का प्रयत्न करें।
राष्ट्रध्वज को अपमानित न होने दें
ध्वज संहिता में बताए अनुसार एवं ऊंचे स्थान पर राष्ट्रध्वज फहराएं।
छोटे बच्चों को राष्ट्रध्वज का उपयोग खिलौने समान न करने दें।
मुख तथा कपडे राष्ट्रध्वज समान न रंगवाएं।
प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज का उपयोग पताका के रूप में न करें।
राष्ट्रध्वज पैरोंतले रौंदा न जाए तथा फटे नहीं, इसपर ध्यान दें।
राष्ट्रगीत-गायन अनुचित स्थान एवं अनुचित समय पर न हो, इस पर ध्यान दें।
राष्ट्रगीत के अंत तक ‘सावधान’ स्थिति में खडे रहें तथा उस समय आपस में बात न करें।
राष्ट्रध्वज का सम्मान अभियान
हिन्दू जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था ने मिल कर ‘राष्ट्रध्वज का सम्मान’ नामक राष्ट्रीय स्तर पर एक अभियान आरंभ किया है। इस अभियान के अंतर्गत समिति विभिन्न पाठशालाओं में जाकर बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास कर रही है। सार्वजनिक स्थानों और सूचना फलक पर निवेदन का प्रदर्शन करना और अंतर जाल के माध्यम से अधिकतम लोगों तक पहुंचने का प्रयास समिति कर रही है।
समिति उपरोक्त उपायों को लागू करने के लिए, समाचार पत्र के माध्यम द्वारा लोगों से निवेदन कर रही है। समिति ने भारत के कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कर उनके सम्मुख यह मांग रखी है कि राष्ट्रध्वज के अनादर के संदर्भ में कडी कार्यवाई की जाए। प्लास्टिक के झंडों पर प्रतिबंध, प्रमुख मांगों में से एक है।
समिति ने गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर, कई शहरों में अलग-अलग स्थानों पर झंडा संग्रह करने के लिए बक्सों का प्रबंध किया है। भारत की ‘ध्वज संहिता’के अनुसार, एकत्रित झंडों को सम्मान पूर्वक जलाया अथवा दफनाया जाएगा।
क्षतिग्रस्त ध्वज की व्यवस्था के लिए सूचना (दिशानिर्देश)
ध्वज के क्षतिग्रस्त अथवा मैले हो जाने पर उसे सम्मान पूर्वक जलाया जाएगा अथवा किसी अन्य विधि द्वारा नष्ट किया जाएगा, जो ध्वज की गरिमा पर आंच न आने दे।
– ‘भारत की ध्वज संहिता’, धारा द्वितीय,पॉइंट
राष्ट्रध्वज का अनादर रोको – मैं कैसे योगदान कर सकता हूं? आप इस अभियान में सहभागी होकर, आप से जितना सम्भव है उतना कर सकते हैं :
1. सक्रिय बनें : ऊपर उल्लेखित अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए अपने मित्रों और सगे-संबंधियों को यह जानकारी दे सकते हैं।
2. क्षतिग्रस्त झंडों को एकत्रित कीजिए और सम्मान पूर्वक जलाने की व्यवस्था कीजिए।
3. इस जानकारी को आप पाठशालाओं में ‘यह करें’ और ‘यह न करें’ के रूप में सूचना फलक में प्रसारित कर सकते हैं।
4. आपके साथ संपर्क में आने वाले अधिकाधिक लोगों को आप इस विषय में प्रबोधन करने का प्रयास कर, अपनी मातृभूमि के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर सकते हैं।
5. एक समूह बनाकर, लोगों का प्रबोधन कीजिए और राष्ट्र ध्वज का अनादर होने से रोकिए।
6. हमें contact@hindujagruti.org पर सूचित करें कि आपने इस बारे में क्या कार्य किया है और कार्य से संबंधित तस्वीरें भेजें, जिसे हम उदाहरण के तौर पर प्रकाशित कर सकें। इससे अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी।