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राजपथ पर दिखी ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक धरोहर और शौर्य की झलक

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राजपथ पर दिखी ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक धरोहर और शौर्य की झलक

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के साये में मनाए जा रहे 72वें गणतंत्र दिवस पर मंगलवार को चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजपथ पर देश की ऐतिहासिक धरोहर तथा विविधतापूर्ण संस्कृति की मनोहारी छटा और सैन्य शक्ति का अद्भुत नजारा दिखाई दिया।

गणतंत्र दिवस पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मुख्य समारोह यहां राजपथ पर हुआ, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर की।

यहां शहीदों को गार्ड कमांडर द्वारा सलामी शस्त्र दिया गया तथा उनके सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। मौन के समापन पर बिगुल वादकों ने ‘राउज’ धुन बजाई। इस दौरान अंतरसेवा दस्ते का नेतृत्व भारतीय सेना के मेजर विकास सांगवान कर रहे हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने सलामी मंच की ओर प्रस्थान किया।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 46 सजीले घुड़सवार अंगरक्षकों के साथ राजपथ पर पधारे, जहां पर उनकी अगवानी प्रधानमंत्री मोदी ने की। राष्ट्रपति के काफिले के दाहिने ओर रेजिमेंट के कमांडेंट कर्नल अनूप तिवारी अपने घोड़े ‘विराट‘ पर तथा बाईं ओर अपने घोड़े ‘विक्रांत‘ पर रेजिमेंट के सेकेण्ड-इन-कमांड लेफ्टिनेंट कर्नल शार्दूल सबीखी मौजूद थे।

समारोहिक अनुरक्षक दो भागों में बंटे हुए थे। राष्ट्रपति के आगे चलने वाली टुकड़ी का नेतृत्व रणविजय पर सवार रिसालदार मेजर दिलबाग सिंह कर रहे थे। वहीं रेजिमेंटल कलर लेकर चल रही टुकड़ी की अगुआई रौनक पर सवार रिसालदार लखविंदर सिंह ने की, जबकि पीछे चल रही टुकड़ी की कमान सुलतान पर सवार रिसालदार हरपाल सिंह ने संभाली।

राजपथ पर कोविंद को 223 फील्ड रेजिमेंट की समारोहिक टुकड़ी द्वारा सलामी दी गई। लेफ्टिनेंट कर्नल जितेन्दर सिंह मेहता के नेतृत्व में राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई। बहत्तरवें गणतंत्र दिवस की परेड में भारतीय सेना के अधिकारी मेजर स्वामी नंदन ने झंडा फहराने में राष्ट्रपति कोविंद की सहायता की। इसके बाद राष्ट्रगान शुरू हुआ।

हर साल गणतंत्र दिवस समारोह में किसी न किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता है, लेकिन इस बार कोविड महामारी के कारण समारोह में कोई विदेशी हस्ती मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल नहीं हुई। सरकार ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस बार मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, लेकिन ब्रिटेन में कोविड के कारण उत्पन्न भयानक स्थिति के मद्देनजर उन्होंने आने में असमर्थता जता दी।

राष्ट्रगान के समापन के बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से 155 हेलिकाॅप्टर यूनिट के चारमी-17 वी-5 हेलिकाॅप्टर ‘वाइनग्लास’ के आकार में उड़ान भरते हुए सलामी मंच की ओर आए, जिसका नेतृत्व विंग कमांडर निखिल मेहरोत्रा ने किया। उनके पीछे एस्टर्न पोजीशन में विंग कमांडर मयंक पालीवाल थलसेना का ध्वज, उनके बाईं ओर विंग कमांडर कुणाल नौसेना और दायीं ओर तथा सलामी मंच की तरफ विंग कमांडर डबराल ने भारतीय वायुसेना का ध्वज लहरा रहे हेलिकाॅप्टर से फूलों की पंखुड़ियां बिखेरते हुए दर्शकों का अभिवादन किया।

गणतंत्र दिवस के मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंजाम किए गए थे। राष्ट्रीय राजधानी में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे। साथ ही दिल्ली पुलिस सीसीटीवी के माध्यम से शहर की हर गतिविधि पर नजर रख रही थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर सुरक्षा बंदोबस्त चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के बाद किसानों की ट्रैक्टर रैली होने वाली थी।

पुलिस ने गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी तरह की अनहोने को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में किरायेदारों एवं नौकरों का सत्यापन, सीमा पर जांच, पुरानी कारों की खरीद-फरोख्त करने वाले डीलरों और सिम कार्ड डीलरों का सत्यापन करने जैसे आतंकवाद-रोधी उपाय निरंतर किए।

पुलिस के मुताबिक रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, हवाई अड्डा और बस टर्मिनल पर भी सुरक्षा कड़ी की गई। इसी प्रकार थाना स्तर पर बैठक कर इलाके के होटलों, गेस्ट हाउस और अन्य प्रतिष्ठानों के गार्ड को और अधिक चौकस रहने के लिए अलर्ट जारी किया।

होटलों के कर्मचारियों को निर्देश दिया गया कि वे परिसर में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की तुरंत सूचना दें। सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैयारियों को पूरा करने के लिए मार्केट यूनियन के साथ भी बैठकें की गई। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भीड़ वाले स्थानों, बाजारों और मॉल पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

इस गणतंत्र दिवस समारोह में प्रवेश केवल निमंत्रण कार्ड/टिकट द्वारा ही दिया गया। साथ ही उस बार 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी समारोह स्थल पर प्रवेश नहीं दिया गया।