जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने भाजपा कहा है कि विधानसभा के आगामी सत्र में पार्टी राज्य में बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था, प्रशासन एवं पुलिस की नाक के नीचे अवैध शराब का गोरखधंधा, लम्बित भर्तियां, सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी, भ्रष्टाचार, अराजकता सहित विभिन्न जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी।
डाॅ. पूनियां ने आज त्रकारों से कहा कि इस बार पिछली बार से भी ज्यादा मुद्दे विधानसभा में होंगे। सत्र से पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष एवं विधायकों के साथ हम प्रदेश के सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बारे में नेता प्रतिपक्ष से बात करेंगे कि किस दिन बैठक करनी है और यह तय है कि इस बार गहलोत सरकार के खिलाफ मुद्दे इतने ज्यादा हैं कि उनका सामना करने में उन्हें बहुत मुश्किल होगी।
डा पूनियां भीलवाड़ा में अवैध शराब से हुई मौतों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि राज्य बढ़ रहे अवैध शराब के गोरखधंधे को लेकर कहा कि किस तरीके से सरकारी लाइसेंस के समानांतर यहाँ अवैध शराब बनती और बिकती है। राज्य सरकार को अच्छी तरीके से इस बारे में पता है और ऐसी घटनाएं केवल एक बार नहीं हुई, इस सरकार के रहते दर्जनों बार हुई है, पर सरकार ने इस पर किसी तरीके का संज्ञान नहीं लिया, कोई ठोस योजना नहीं बनाई। उन्होंने कहा कि इस कारण ये घटनाएं होती हैं। गहलोत सरकार की नाक के नीचे इस तरीके की घटनाएं सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े करती हैं।
राज्य में पेट्रोल-डीजल पर वैट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि वो देर से भी आए और दुरूस्त भी नहीं आए। हमारी राज्य सरकार से केवल 2 प्रतिशत की मांग नहीं थी, उनको यदि राजस्थान की जनता की चिंता थी तो अभी भी देश में सर्वाधिक वैट पेट्रोल-डीजल पर राजस्थान में है। दो रुपए कम किए उसकी बजाय रुपए 10 कम करते तो आमजन को अच्छी राहत मिलती। मुख्यमंत्री गहलोत झूठी वाह-वाही लूटने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वैट केवल सियासी मुद्दा होता तो मुख्यमंत्री गहलोत को दो साल में क्यों सूझा, ये तो पहले भी कर सकते थे। इसका मतलब उनका कहीं न कहीं फोकस किसी न किसी चुनाव को या अपनी अस्थिरता को लेकर है। वो जो सारे काम कर रहे हैं, उनके जितने फैसले आपने देखे होंगे, यू-टर्न करने वाले हैं। पहले वो लागू करते हैं, फिर उसमें कम करते हैं या पीछे हटते हैं।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि विधानसभा सत्र को देखते हुए सरपंचों के पीडी खातें के मामले भी सरकार अपने पिछले फैसले से पलट गई। सियासी तौर पर गहलोत की उस रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है कि सदन में कम से कम उनको बचाव का एक मौका मिल जाए।