अजमेर। राजस्थान में अजमेर में शुरू होने जा रहे ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 809वें सालाना उर्स में शिरकत करने आने वाले जायरीनों को ऑनलाइन पंजीयन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
जिला प्रशासन और दरगाह कमेटी ने जायरीनों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधाओं के मद्देनजर कोरोना गाइडलाइन पालना को सर्वोपरि मानते हुए यह फैसला लिया है। हालांकि इस फैसले में अभी स्पष्ट नहीं है कि रजिस्ट्रेशन किस वेबसाइट पर और उर्स की किस सीमा के लिए होगा।
बताया जा रहा है कि कल दरगाह कमेटी के नुमाइंदों के साथ जिला प्रशासन की बैठक में जायरीनों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का फैसला लिया गया है। इस ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए फिलहाल कोई वेबसाइट भी जारी नहीं की गई है।
उधर, उर्स के एनवक्त पर इस तरह के फैसले से खादिम समुदाय में रोष है। अंजुमन सचिव वाहिद हुसैन अंगारा ने कहा है कि उन्हें इस तरह के किसी फैसले की जानकारी प्रशासन ने नहीं दी है जबकि सेवानिवृत्त आईएएस एवं नाजिम अशफाक हुसैन ने जायरीनों की सहूलियत के लिए ऑनलाइन पंजीयन की बात कही है।
इतना ही नहीं दरगाह कमेटी सदर अमीन पठान ने तो यहां तक कह दिया कि जायरीन निजी वाहनों से अजमेर आ जा सकेंगे। प्रशासन यदि कायड़ पर जायरीनों के ठहराने की व्यवस्था नहीं करता है तो दरगाह कमेटी निजी वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था करेगी।
उन्होंने कहा कि उर्स में आने वाली बसों एवं जायरीनों को कायड़ विश्राम स्थली पर नहीं ठहराया जा सकेगा। प्रशासन ने एक अन्य अहम फैसले में जायरीन को केवल चौबीस घंटे अजमेर में ठहरने अथवा ठहराने की हिदायत भी होटल संचालकों को दी है।
उल्लेखनीय है कि सालाना उर्स का झंडा अंग्रेजी तारीख से इसी आठ फरवरी को चढ़ने जा रहा है। ग्यारह फरवरी को आस्ताना शरीफ से संदल उतरेगा, 12 फरवरी को उर्स के दौरान छह दिनों तक खुलने वाला जन्नती दरवाजा भी खोल दिया जाएगा।
रजब का चांद दिखने पर 13 या 14 फरवरी को रजब की पहली तारीख होगी। 19 फरवरी शुक्रवार को जुम्मे की नमाज होगी और 21 या 22 फरवरी को बड़े कुल की रस्म के साथ उर्स संपन्न हो जाएगा।
खास बात यह है कि अजमेर शहर में 21 फरवरी तक धारा 144 लगे होने के बावजूद अजमेर में अभी से जायरीनों की व्यापक भीड़ का आना जाना हो रहा है। ऐसे में प्रशासन दरगाह के भीतर किस तरह जायरीनों को प्रवेश देगा अथवा उन पर नियन्त्रण बनाएगा यह एक बड़ी चुनौती होगी।