अजमेर। राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह शरीफ के 85फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर आज झंडे की रस्म के साथ ही 809वें सालाना उर्स का अनौपचारिक रुप से आगाज हो गया।
रजब माह का चांद दिखाई देने पर 12 या 13 फरवरी को छह दिवसीय उर्स की विधिवत शुरुआत होगी और आमजन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा। दरगाह के गरीब नवाज गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस भीलवाड़ा के गौरी परिवार की सदारत में निकाला गया जो मुस्तफा बाजार, फूल गली चौराहा, होकर दरगाह के मुख्य निजाम गेट पहुंचा। रास्ते भर शाही चैकी के कव्वाल ख्वाजा साहब की शान में सूफियाना कलाम पेश करते हुए चल रहे थे।
इस दौरान अकीदतमंदों की भीड़ झंडे की एक झलक पाने के लिए लालायित नजर आई। भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी परिवार के पोते फखरुद्दीन गौरी ने पारंपरिक तरीके से झंडे की रस्म को निभाया जिसकी अगुवाई सैयद फारुख अहमद नबीरा और मुतवल्ली सैयद असरार अहमद ने की। उसके बाद रोशनी से पहले ही झंडे को चढ़ाकर उर्स का आगाज किया गया।
इस दौरान दरगाह के पीछे पहाड़ी से तोप के गोले दागकर सलामी दी गई। झंडे की रस्म के दौरान पुलिस ने व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए लेकिन कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं कराई जा सकी।
दरगाह के मुख्य निजाम गेट के बाहर बेरिकेटिंग लगाकर अकीदतमंदों को आगे नहीं बढ़ने दिया गया लेकिन मौके पर भीड़ का व्यापक हुजूम बना रहा और हल्की फुल्की धक्का मुक्की चलती रही। अब सभी को रजब के चांद का इंतजार रहेगा।
जिला एवं पुलिस प्रशासन ने जहां अपनी ओर से माकूल व्यवस्था की है। वहीं दरगाह कमेटी ने भी दरगाह परिसर में तथा खादिमों की संस्था अंजुमन ने आस्ताना शरीफ में उर्स को देखते हुए खास इंतजाम किए हैं।