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दल के साथ देश और सदन की भी चिंता की गुलाम नबी आजाद ने : मोदी - Sabguru News
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दल के साथ देश और सदन की भी चिंता की गुलाम नबी आजाद ने : मोदी

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दल के साथ देश और सदन की भी चिंता की गुलाम नबी आजाद ने : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कभी नेता विपक्ष के रूप में केवल अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्होंने अपने दल के साथ साथ देश तथा सदन की भी चिंता की।

मोदी ने आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूरा होने के मौके पर मंगलवार को अपने विदायी संबोधन में यह बात कही। आजाद के साथ साथ जम्मू कश्मीर से राज्यसभा में सदस्य मीर फय्याज, शमशेर सिंह मन्हास और नजीर अहमद को भी विदायी दी गई। आजाद और अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को जबकि मन्हास और फय्याज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजाद अपने दायित्व के प्रति बहुत सजग थे और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। ऐसा लगता है कि उनके उत्तराधिकारी के लिए उनकी जगह लेना बहुत कठिन होगा। उन्होंने कहा कि आजाद ने नेता विपक्ष के रूप में कभी अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश नहीं की और अपने दल के साथ साथ देश और सदन की भी चिंता की। उन्होंने कहा कि यह कार्यकाल उनके कैरियर का संभवत उत्तम कार्यकाल है क्योंकि इस दौरान इतिहास ने करवट ली है और वे इसके सहयात्री रहे हैं।

मोदी ने कहा कि आजाद के सत्ता और विपक्ष के 28 वर्षों के अनुभव से सबको बहुत कुछ सीखने को मिला है और उनकी कमी सदन को हमेशा खलेगी। मोदी ने भावुक होते हुए कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे और उन दोनों के बीच जबरदस्त तालमेल तथा सहयोग था। गुजरात में एक हमले मे कुछ लोगों की मौत होने के समय आजाद की एकजुटता का उल्लेख करते हुए वह बहुत भावुक हो गए और कहा कि आजाद ने उस समय परिवार के सदस्य की तरह चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि वह एक मित्र के रूप में आजाद का हमेशा आदर करते हैं और उनके विचारों था सुझावों के लिए उनके द्वार हमेशा खुले रहेंगे। मोदी ने इससे पहले मन्हास, अहमद और फय्याज के संसद में योगदान की सराहना की और कहा कि वह आगे भी देश तथा अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा करते रहेंगे। उनके अनुभव और ज्ञान से देश तथा समाज को लाभ मिलता रहेगा।

इससे पहले सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें सदन में आजाद की कमी खलेगी क्योंकि आजाद बहुत सुलझे हुए नेता थे तथा उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में कई बार विकट परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था। सभापति ने कहा कि आजाद के पास इस सदन में 28 वर्षों का अनुभव है जिसकी कमी सभी को खलेगी। उन्होंने कहा कि आजाद को वर्ष 2015 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से नवाजा गया था और वह पहली बार सांसद बनने वाले सदस्यों के लिए आदर्श हैं। वह बडी ही सौम्यता के साथ अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से रखते हैं।

सभापति ने चारों सदस्यों द्वारा सदन में दिए गए योगदान की सराहना की और उम्मीद जताई कि वे भविष्य में भी देश तथा समाज की सेवा करते रहेंगे। उन्होंने सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य तथा सार्वजनिक जीवन में निरंतर काम करते रहने की कामना भी की।