अजमेर। राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स में परंपरागत तरीके से दिल्ली के महरोली से पहुंचे कलंदरों के जत्थे ने शुक्रवार शाम उर्स की नमाज के बाद दरगाह शरीफ पहुंचकर निशान पेश की।
कलंदरों का जत्था गंज स्थित चिल्ले से गाजे बाजे के रूप में दरगाह की ओर रवाना हुआ। रास्ते में वे हिंदवली एवं गरीब नवाज के जयघोष और करतब दिखाते चले। कोरोना काल को देखते हुए प्रतिकात्मक रूप से हैरतअंगेज करतब दिखाते हाथ में झंडे लिए जब दरगाह शरीफ के दरवाजे पर पहुंचे तो खादिमों की संस्था अंजुमन की ओर से उनकी अगवानी की गई।
उन्होंने दरगाह शरीफ में दिल्ली से आई छड़ियों को पेश किया और धार्मिक रस्म निभाकर विसर्जित हो गए। सभी कलंदर उर्स छठी के बड़े कुल के दौरान दागोल की रस्म अदा करने एकबार फिर जुटेंगे और फिर अंजुमन की ओर से उन्हें विदाई दी जाएगाी।
उल्लेखनीय है कि हर साल 500 से ज्यादा कलंदरों के जत्थे का दिल्ली से आना होता रहा है लेकिन कोरोना काल को देखते हुए इस बार कम संख्या में कलंदर अजमेर पहुंचे हैं। उर्स को देखते हुए दरगाह शरीफ रोशनी से सराबोर है और दरगाह व दरगाह बाजार जायरीनों से आबाद है। पूरे मेले क्षेत्र में रौनक देखी जा सकती है।