शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने पांच सदस्यों के निलंबन को लेकर हंगामा किया और सदन से बर्हिगमन किया।
जैसे ही सदन के कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने खड़े होकर नेता प्रतिपक्ष सहित अन्य के निलंबन को खत्म करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार निलंबन वापस नहीं लेती तो सदन की कार्यवाही नहीं चलने देगें। कांग्रेस सदस्यों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है। सत्ता पक्ष के सदस्य और मंत्री ने धक्का-मुक्की शुरू की लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के एक साल का लेखा-जोखा होता है, जिसे सदन में रखा जाता है। अभिभाषण को पूरा पढ़ना है या नहीं, ये राज्यपाल पर निर्भर होता है। राज्यपाल को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान की तरह ही सम्मान देना होता है। जिस प्रकार का अमर्यादित आचरण राज्यपाल के साथ हुआ वो असहनीय है। सदन से पहली बार विधायकों को बाहर नहीं किया गया है इससे पहले भी इस तरह की घटना हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सदस्यों का निलंबन आपसी बातचीत से बहाल किया जा सकता है लेकिन कांग्रेस सदस्यों को पहले बिना शर्त राज्यपाल से माफी मांगनी होगी। सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री और मंत्री पहले ही पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांग चुके हैं। पहले माफी मांगे उसके बाद निर्णय होगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना में नेता विपक्ष भी शामिल हों, ऐसा पहली बार देखा गया है। वीरभद्र, विद्या स्टोक्स और प्रेम कुमार धूमल भी प्रतिपक्ष के नेता रहे हैं। पर यहां तो प्रतिपक्ष के नेता ही नेतृत्व कर रहे थे। विष्णुकांत शास्त्री के राज्यपाल रहते भी ऐसी घटना हुई थी तो उस वक्त राज्यपाल से वीरभद्र सिंह ने माफी मांगी थी कि ऐसा हो गया है। पर यहां स्थिति यह है कि कांग्रेस अपने पूर्वजों को ही नहीं मानते हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में काम रोको प्रस्ताव आज तक नहीं लाया गया। विपक्ष ने अभद्र तरीके से नारेबाजी कर रास्ता रोक दिया ये हिमाचल के लिए शर्मनाक है। एडीसी तक को धक्के मारे गए। सारे घटनाक्रम के लिए सरकार ने मंत्रियों सहित राज्यपाल से माफी मांगी। लेकिन विपक्ष ने खेद तक नहीं जताया। देश भर में हिमाचल का नाम खराब हुआ है। विधानसभा उपाध्यक्ष के साथ सरकार है उनको धमकाने नहीं दिया जाएगा। उनके साथ विक्रमादित्य का व्यवहार शर्मनाक है। सत्ता पक्ष हर तरह की लड़ाई लड़ने को तैयार है लेकिन राज्यपाल के साथ किया गया व्यवहार ठीक नहीं था। इसके लिए किसी को माफ नहीं किया जाएगा।
भाजपा कार्यालय में हमले और शांता कुमार की बाजू तोड़ने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कांग्रेस की आदत रही है इस तरह से व्यवहार करती है।
इस पर कांग्रेस पार्टी ने सदन में नारबाजी शुरू कर दी और सदन से वाकआउट कर दिया। कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री अंदर झूठ बोल रहे हैं। जब तक विपक्ष के पांच सदस्यों की बहाली नहीं की जाती है विपक्ष सदन नहीं चलने देगा।
इस पर विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज कुछ बोलने के लिए उठे और विपक्ष से विक्रमादित्य सिंह और अन्य सदस्य उनसे सदन उलझ गए। तीखी नोंकझोंक के बीच दोनों तरफ से जमकर नारेबाजी हुई व विरोधस्वरूप विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया और सदन से बाहर चले गए।