नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली ने मुंबई की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों को शिमला में सुनवाई कराए जाने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
वकील नीरज शेखर के जरिये दायर याचिका में दोनों ने महाराष्ट्र सरकार के पूर्वाग्रह को आधार बनाकर लंबित मामलों को हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार उनके प्रति दुर्भावना से ग्रसित है, इसलिए उनके साथ वहां न्याय संभव नहीं है।
कंगना ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें पद्मश्री और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुके हैं। महाराष्ट्र की सत्ताधारी शिवसेना की गलत नीतियों का मुखर विरोध करने के कारण उन्हें बार-बार परेशान किया जाता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि शिवसेना से जुड़े नेताओं से दोनों बहनों की जान को खतरा है। याचिकाकर्ताओं ने जिन मुकदमों की सुनवाई शिमला में कराने की मांग की है उनमें से दो मामले समाज में वैमनस्य फैलाने को लेकर हैं, जबकि एक मामला गीतकार जावेद अख्तर की तरफ से दायर मानहानि से जुड़ा है।
गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल में कंगना की बहन रंगोली ने एक ट्वीट करके उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव की घटना का विरोध किया था। एक वकील अली काशिफ खान ने कोरोना वायरस से ग्रस्त दो लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए मौके पर पहुंची मेडिकल टीम पर हमले का विरोध किये जाने को सांप्रदायिक आधार पर वैमनस्य फैलाने वाला बताते हुए प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।
कंगना ने अपनी बहन के समर्थन में एक वीडियो जारी किया तो उनका नाम भी मुकदमे में शामिल कर लिया गया। दूसरा मामला मुनव्वर अली नामक शख्स ने दर्ज करवाया है। इसमें भी कंगना के बयानों को नफरत फैलाने वाला बताया गया है।
याचिका के मुताबिक यह मुकदमा जिन बयानों के लिए दर्ज हुआ है, उनमें महाराष्ट्र सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया गया था। ऐसे में मुकदमा ही आधारहीन है। तीसरा मामला आपराधिक मानहानि का है, जिसे गीतकार जावेद अख़्तर ने दर्ज कराया है।