नई दिल्ली। क्रिकेट लीजेंड और महानतम सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर अपने टेस्ट पदार्पण के 50 साल पूरे करने जा रहे हैं। गावस्कर के टेस्ट पदार्पण को छह मार्च को 50 साल पूरे हो जाएंगे।
ओरिजिनल लिटिल मास्टर गावस्कर ने छह मार्च 1971 को शक्तिशाली वेस्ट इंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में अपना टेस्ट पदार्पण किया था और दोनों पारियों में 65 और नाबाद 67 रन बनाये थे। गावस्कर ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज में चार मैचों में 774 रन बनाये थे जो आज भी किसी भारतीय का एक टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड है। उन्होंने इस सीरीज के दूसरे टेस्ट से अपना अंतर्राष्ट्रीय करियर शुरू किया था। उन्होंने फिर अगले तीन टेस्टों में 116,नाबाद 64, एक, नाबाद 117, 124 और 220 रन बनाये। इस सीरीज में उन्होंने चार शतक और तीन अर्धशतक बनाये।
गावस्कर के पहली सीरीज के इस रिकॉर्ड के आसपास खुद गावस्कर ही पहुंच पाए जब उन्होंने 1978-79 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ छह टेस्टों की घरेलू सीरीज में 732 रन बनाये थे। अन्य कोई भारतीय बल्लेबाज इस रिकॉर्ड के आसपास भी कभी नहीं पहुंच पाया। गावस्कर के टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों और शतकों के रिकॉर्ड को मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा लेकिन सचिन एक सीरीज में सर्वाधिक रनों के गावस्कर के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए।
71 साल के हो चुके गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 10 हजार रन पूरे किये थे और सदी के महानतम बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रैडमैन का 29 शर्तकों का रिकॉर्ड तोड़ा था। गावस्कर टेस्ट इतिहास में सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं और वह 70-80 के दशक में भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ रहे थे। गावस्कर ने 16 साल के अपने करियर में 125 टेस्टों में 10122 रन बनाये जिसमें 34 शतक और 45 अर्धशतक शामिल हैं।
बेहतरीन तकनीक और मजबूत डिफेंस के महारथी गावस्कर पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने भारतीय खिलाड़ियों को प्रोफेशनलिज्म से रूबरू करवाया। क्रिकेट से संन्यास के बाद टीवी कमेंट्रेटर, लेखक और विश्लेषक की भूमिका उन्होंने बखूबी निभायी। वह आईसीसी क्रिकेट समिति के अध्यक्ष के अलावा कई प्रशासनिक पदों पर भी रहे।
विश्व क्रिकेट के सबसे सम्मानित नाम गावस्कर ने भारतीय क्रिकेट को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।