नई दिल्ली। दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों की पहचान कर उनके नियमितीकरण के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के कानूनों में संशोधन करने वाले विधेयक पर मंगलवार को संसद की मुहर लग गयी जिससे दिल्ली की करीब 60 लाख की आबादी को फायदा होगा।
राज्य सभा से पारित राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2021 को लोक सभा में भी आज संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया। इसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2020 के स्थान पर लाया गया है।
शहरी विकास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस विधेयक को सदन में पेश किया। केंद्र सरकार के लिए मंगलवार को लोक सभा में एक विधेयक पेश करेगी। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से करीब 1800 अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों पर 31 दिसंबर 2023 तक सीलिंग का खतरा नहीं रहेगा।
इससे पहले चर्चा शुरू करते हुए भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली को सिंगापुर बनाने की घोषणा की है। दिल्ली में जब-जब चुनाव करीब आता है तो आप पार्टी ऐसी घोषणाएं करती है लेकिन उसने अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए सर्वेक्षण तक नहीं किया जिससे यह अध्यादेश एवं विधेयक लाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस बारे में गलत जानकारियां दी हैं। यदि इन कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा तो उन्हें बिजली, सीवर एवं पानी की सुविधा मिल सकेगी और उनका जीवन आसान हो सकेगा।
भाजपा के ही रमेश बिधूड़ी ने कहा कि कांग्रेस के राज में बना दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) भ्रष्टाचार में डूबा रहा और लोगों की मकान की आकांक्षा पूरी नहीं होने के कारण उन्हें किसानों की खेती की जमीन पर प्लाट खरीद कर मकान बनाने और नारकीय जीवन जीने को मजबूर होना पड़ा।
पुरी के संक्षिप्त जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
सरकार ने बजट सत्र के प्रथम चरण में गत आठ फरवरी को राज्य सभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के स्थान पर इस विधेयक को पेश किया था। अध्यादेश को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 30 दिसंबर, 2020 को प्रख्यापित किया था जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय अधिनियम, 2011 में संशोधन किया गया था। उक्त अधिनियम 31 दिसंबर, 2020 तक वैध था। अध्यादेश ने समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2023 कर दी। 2011 का अधिनियम 31 मार्च, 2002 तक राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए प्रदान किया गया और जहां निर्माण 1 जून, 2014 तक हुआ। इसके तहत 01 जून, 2014 तक अस्तित्व में रही अनधिकृत कॉलोनियों और 1 जनवरी, 2015 तक जहां 50 प्रतिशत तक विकास देखा गया, वे नियमितीकरण के लिए पात्र होंगे।
अध्यादेश को इसलिए संशोधित किया गया है ताकि अनधिकृत कॉलोनियों को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (अनधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2019 और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (अनाधिकृत कालोनियों में निवासियों के संपत्ति के अधिकारों की मान्यता विनियम, 2019) के अनुसार नियमितीकरण के लिए चिह्नित किया जा सके।