जयपुर। राजस्थान में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आव्हान पर 15 एवं 16 मार्च की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल के मद्देनजर सार्वजनिक क्षेत्र एवं ग्रामीण बैंकों की 8200 से अधिक शाखाओं में कामकाज आज पूरी तरह ठप्प रहा। अधिकांश बैंकों के ताले तक नहीं खुले।
हड़ताल के कारण प्रदेश में 10 हजार करोड़ का कारोबार बाधित हुआ तथा प्रदेश के 15 हजार एटीएम में से अधिकांश एटीएम खाली हो गए। इस हड़ताल में 500 से अधिक सहायक महाप्रबंधक सहित 36000 कर्मचारी एवं अधिकारी शामिल हुए।
राजधानी जयपुर में हड़ताली कर्मचारी आज अंबेडकर सर्किल के पास बीमा निधि भवन परिसर में एकत्रित हुए। हड़ताली कर्मचारियों ने काफी देर तक की निजी करण विरोधी नारेबाजी की एवं संगठनों के पदाधिकािरयों ने संबोधित किया।
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के प्रदेश संयोजक महेश मिश्रा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि हड़ताल की सबसे बड़ी वजह सरकार का ऐलान है कि वह आईडीबीआई के अलावा दो और सरकारी बैंकों का निजीकरण करने जा रहे हैं।
बैंक यूनियने निजी करण का विरोध कर रही है उनका कहना है जब सरकारी बैंकों को मजबूत अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की जिम्मेदारी सौंपने की जरूरत है तो उस समय सरकार एक कदम उल्टे रास्ते पर चल रही है।
उन्होंने कहा कि दो बैंकों के निजीकरण के लिए यद्यपि नामों की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन कर्मचारी अपने अपने बैंक के लिए कयास लगा रहे हैं जिससे उनमें नाराजगी बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक मजबूती के लिए तथा आम जनता को बैंकों से जोड़ने के लिए यूनियनों ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण की मांग साठ के दशक में की थी। परिणामस्वरुप 20 बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ।
आज प्रदर्शन में दो हजार से अधिक कर्मचारी एवं अधिकारी उपस्थित हुए। मिश्रा ने बताया कि 16 मार्च को प्रदर्शन इसी स्थान पर प्रातः 10.30 बजे किया जाएगा।