रांची। झारखंड में छत्तीस खिलाड़ियों को आज सीधी नौकरी दी गई और मुख्यमंत्री सभी को नियुक्ति पत्र सौंपा।
सोरेन ने बुधवार को यहां खिलाड़ियों को नियुक्ति पत्र सौंपे और शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों से नई जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने की उम्मीद जताई। आज जिन्हें नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं उनमें अधिकतर खिलाड़ियों को राज्य सरकार के स्तर से गृह विभाग में नौकरी दी जा रही है। इन सभी खिलाड़ियों को गृह विभाग में कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति पत्र सौंपा गया है। 36 खिलाड़ियों में से 27 को नियुक्ति पत्र सौंपा गया जबकि नौ को उनकी अनुपस्थिति के कारण नियुक्ति पत्र उनके घर भेज दिया गया है। नौकरी पाने वाले खिलाड़ियों में 10 पुरुष और 17 महिला खिलाड़ी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने सभी 24 जिलों में खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति की है, यह पहली बार हुआ है। पदाधिकारियों का पदस्थापन लॉटरी के माध्यम से किया और जिलों में उन्होंने योगदान दिया। उन्होंने कहा कि खेल जगत में झारखंड की पुरानी पहचान रही है। राज्य के पिछड़े क्षेत्रों से कई खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में अपना नाम रोशन किया है।
सोरेन ने कहा कि खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचानने में विलंब जरूर हुआ है। नौकरी की उम्मीद संजोये खिलाड़ियों की पीड़ा उन्हें परेशान करती थी। कई खिलाड़ियों को उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मदद की है। सरकार में वे नहीं थे, तब भी खिलाड़ियों की भावना की कद्र करते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खिलाड़ियों की प्रतिभा के अनुरूप सरकार ने सीधी नौकरी देने का फैसला लिया था, उसे मूर्त रूप दिया जा रहा है। आगे भी सरकार खिलाड़ियों के भविष्य का ख्याल रखेगी। कोई भी खिलाड़ी उम्मीद नहीं छोड़ें। सरकार नई कार्ययोजना के साथ काम कर रही है। इससे पहले राज्य स्थापना दिवस पर पंद्रह नवंबर 2020 को बिरसी मुंडू को सांकेतिक तौर पर नियुक्ति पत्र सौंपा गया था। फिलहाल वह डीएसओ कार्यालय में कार्यरत हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने विभिन्न प्रतियोगिता में श्रेष्ट प्रदर्शन और मेडल जीतने वाले राज्य के 40 खिलाड़ियों को नौकरी देने के लिए सूचीबद्ध किया था। इन खिलाड़ियों में बिमला मुंडा का नाम भी शामिल है, जो तंगी की हालत में परिवार का खर्च चलाने के लिए हड़िया बेचने को मजबूर थी जबकि एक और खिलाड़ी सरिता तिर्की दिहाड़ी मजदूरी करती थी।