नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को राज्य सभा में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार की आय में कमी होने के बावजूद जनता पर करों का कोई बोझ नहीं डाला गया।
मोदी ने वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि केन्द्र सरकार ने कोरोना संकट का बेहतरीन तरीके से मुकाबला किया है। उन्होंने कहा वर्ष 2020..21 में करों के संग्रह में 23 प्रतिशत की कमी आयी है और 15 लाख 55 हजार करोड़ रुपये कर संग्रहण किया गया है। कार्पोरेट टैक्स में 34 प्रतिशत और आयकर में 28 प्रतिशत की कमी आयी है इसके बावजूद कोई नया कर नहीं लगाया गया है। दुनिया के अन्य देशों में सरकारों ने इस दौरान भारी कर लगाये हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019..20 में कार्पोरेट टैक्स में कमी की गयी थी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए इस बार कृषि उप कर लगाया है जिससे 30 हजार करोड़ रुपये की राशि आयेगी। इसका उपयोग मंडी की आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए लिए किया जायेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे कम आयकर अपने देश में है। यह कर अमेरिका में 40 प्रतिशत और भारत में 30 प्रतिशत है। दुनिया के कई देशों में यह कर 45 प्रतिशत तक है। उन्होंने कहा कि वेतन पाने वाले कर्मचारियों से 59 प्रतिशत आयकर आता है जबकि 27 प्रतिशत व्यावसायिक माध्यमों से प्राप्त होता है।
मोदी ने कहा कि कार्पोरेट टैक्स को ब्रिक्स देशों के बराबर किया गया है ताकि इससे अधिक निवेश हो सके। पांच साल में इसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर जो कर लगाया जाता है उससे विकास कार्य कराये जाते हैं। इसे बिजली, पानी, शौचालय आदि निर्माण पर खर्च किया जाता है।
उन्होंने कहा कि एक सौ रुपये के पेट्रोल पर 60 रुपये कर होता है, जिसमें से 35 रुपये केन्द्र को और 25 रुपये राज्यों को जाता है। कुछ लोग पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में डालने की मांग करते हैं लेकिन इससे राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
मोदी ने कहा कि करों के विवाद को समाप्त करने के लिए अनेक उपाय किये गये हैं। छोटे करदाताओं के विवाद को भी समाप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं।