अंकुर सिंह
भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से 2021 का वर्ष ऐतिहासिक होगा क्योंकि दोनों देश मुक्ति युद्ध तथा भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की पचासवीं वर्षगांठ मनाएंगे। बांग्लादेश अपनी स्वतंत्रता के 50 साल पूरे होने पर कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है और जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। कोरोना के बाद करीब 497 दिनों के बाद प्रधानमंत्री किसी विदेश यात्रा पर जा रहे हैं।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि मोदी ने कोरोना का चरम समाप्त होने बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए बांग्लादेश को ही क्यों चुना? इसका जवाब है भारतीय जनता पार्टी नीति राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा शुरू की गई नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, जो भारत और बांग्लादेश के रिश्ते को नए सिरे से व्याख्यायित करने के साथ ही मजबूत और सौहार्दपूर्ण बना रही है।
जाहिर है अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री बांग्लादेश में आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे। लेकिन इस सब कार्यक्रमों में सबसे प्रमुख कार्यक्रम की बात की जाएं तो वो हैं ‘मुजीब दिवस’। जिसे बांग्लादेश के निर्मता शेख मुजीब उर रहमान के सम्मान में मनाया जा रहा है।
स्वास्थ्य, व्यापार, कनेक्टिविटी और ऊर्जा नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के मेरुदंड है। हाल ही में कोरोना काल में बांग्लादेश को भारत अब तक 90 लाख कोरोना वैक्सीन डोज मुहैया करा चुका है। जो भारत से किसी अन्य देश को वैक्सीन की सप्लाई की सबसे बड़ी खेप है। यही कारण है कि पिछले 6 वर्षों में हुए क्रियाकलापों का असर है कि भारत और बांग्लादेश आपस में भ्रातृत्व भाव का अनुभव कर रहे हैं।
पिछले साल यानि 20 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश के बीच हुई आभासी शिखर बैठक में दोनों दलों ने बिजली और ऊर्जा के मामले में, निजी क्षेत्र समेत, मजबूत सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन, मैत्री सुपर थर्मल पावर परियोजना के साथ – साथ अन्य परियोजनाओं समेत विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने पर सहमति हुई।
दोनों पक्षों ने हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में सहयोग से जुड़े फ्रेमवर्क ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया, जो कि निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त अध्ययन, प्रशिक्षण और हाइड्रोकार्बन कनेक्टिविटी को प्रोत्साहन देने के जरिए ऊर्जा संपर्क को और बढ़ाएगा। जैव ईंधन के क्षेत्र समेत ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा के मामले में आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति हुई।
ऊर्जा के हरित, स्वच्छ, नवीकरणीय स्रोतों की ओर बढ़ने की दोनों देशों की प्रतिबद्धता के अनुरूप, नेपाल और भूटान समेत उप-क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमति हुई। दोनों पक्ष बिजली और ऊर्जा संपर्क के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमत हुई।
आर्थिक वृद्धि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता है। बांग्लादेश भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक स्वाभाविक स्तंभ है। यह दक्षिण-पूर्व एशिया तथा अन्य पूर्वी एशियाई देशों के साथ आर्थिक राजनीतिक संबंध स्थापित करने के संदर्भ में एक सेतु के रूप में कार्य कर सकता है। विम्सटेक ( BIMSTEC) और BBIN ( बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) पहलों में बांग्लादेश द्वारा किया जा रहा समर्थन भारत के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में पहुंच का पूरक है।
दोनों देशों के बीच इस दिशा में भी विगत 6 वर्षों में काफी कार्य हुए हैं। इसके तहत सिलिगुड़ी को परबतीपुर से जोड़ने के लिए 346.04 करोड़ रुपये की लागत से 129 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन बनाई जा रही है, जिससे बांग्लादेश को तेज गति से डीजल मिल पाएगा। यही नहीं भारतीय ग्रिडों के माध्यम से बांग्लादेश की बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। वर्तमान में बांग्लादेश को लगभग 1160 मेगावाट बिजली की सप्लाई दी जा रही है।
इसके अतिरिक्त भारत, बांग्लादेश के रामपाल में 1320-मेगावाट की मैत्री सुपर थर्मल पावर परियोजना का निर्माण भी करा रहा है, जिसकी यूनिट एक को इस वर्ष के अंत में और यूनिट 2 को 2022 में चालू किए जाने की उम्मीद है। इसके लिए एक भारतीय कंपनी झारखंड में 1600 मेगावाट का पावर प्लांट भी बनाएगी और सीधे बांग्लादेश में बिजली पहुंचाएंगी।
इसके अलावा भारत-बांग्लादेश बिहार के कटिहार से बांग्लादेश के परबतीपुर से असम के बोर्नगर तक 765-केवी पावर इंटरकनेक्शन के निर्माण पर भी चर्चा कर रहे हैं, जब इसका निर्माण हो जाएगा, तो यह इस क्षेत्र में ग्रिडों की इंटरकनेक्टिविटी को सुदृढ़ करेगा।
कोरोना काल में भारत-बांग्लादेश काफी करीब आए हैं, दोनों देशों के लोगों के बीच में भी आपसी संबंध मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने इस साल में कनेक्टविटी के कई नए काम शुरू किए हैं। पोस्ट कोविड के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली विदेश यात्रा आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित दोनों देशों के संबंधों और मजबूती प्रदान करेगी। इसमें नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, जिसके भाव में पड़ोस के विकास के साथ भारत का विकास है।
सुनने में यह राजनीतिक बयान लग सकता है, लेकिन दो देशों के बीच संबंधों के दृष्टिकोण से देखें तो यह आर्थिक रूप से समीचीन है, क्योंकि उच्च आर्थिक विकास के साथ अंतर-जुड़ा हुआ क्षेत्र व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा देता है, जो संबंधों को मजबूत करने के साथ ही विकास के पहिए को तेज गति भी प्रदान करता है।
यह नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का नतीजा है कि भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों में भी गति देखने को मिल रही है। इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए पिछले साल जुलाई में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर तथा रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 10 ब्रॉडगेज इंजन को बांग्लादेश के लिए रवाना किया था।
यही नहीं भारत से बांग्लादेश के लिए शुरू की गई कंटेनर ट्रेन सेवा, दोनों देशों के संबंधों में स्थिरता लाने के साथ ही ‘गेम चेंजर’ साबित हुई है। इस ट्रेन को कोलकाता के माजेरहाट टर्मिनल से बांग्लादेश के बेनापोल स्टेशन भेजा गया था। 50 कंटेनरों वाली इस ट्रेन में साबुन, शैम्पू और कपड़ा जैसी वस्तुओं को ले जाया गया था। यह सेवा ट्रक में माल परिवहन की सेवा के मुकाबले काफी सस्ती और तेज है।
अपने समुद्री संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष नवंबर में भारत-बांग्लादेश ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया। इसके तहत बांग्लादेश से नदी के रास्ते पहले वाणिज्यिक मालवाहक पोत को सामान की एक खेप के साथ रवाना किया गया। यह पोत दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित हुआ।
(लेखक युवा पत्रकार हैं)