लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में कानपुर एवं वाराणसी नगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली के क्रियान्वयन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूर करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए है।
योगी की अध्यक्षता में कल रात मंत्रिपरिषद ने कानपुर (नगर) एवं वाराणसी (नगर) में पुलिस आयुक्त प्रणाली के क्रियान्वयन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस व्यवस्था में शामिल शहरों की शान्ति व कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, महिला अपराध नियंत्रण व यातायात प्रबन्धन आदि पर प्रत्येक छह माह में समीक्षा की जाएगी एवं नई व्यवस्था का मूल्यांकन किया जाएगा।
कानपुर नगर तथा वाराणसी में पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदत्त किए जाने के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी किए जाने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद ने अनुमोदित कर दिया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 20 व 21 में इस सन्दर्भ में प्राविधान किए गए हैं। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-20 की उपधारा-5 एवं उपधारा-2 के अनुसार महानगरों के पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन महानगरों के सम्बन्ध में क्षेत्र के कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं अपर जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियों एवं उनमें से कोई शक्ति पुलिस आयुक्त को प्रदत्त की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 21 के अनुसार संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त एवं सहायक पुलिस आयुक्त को विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार प्रदत्त किए जाने का निर्णय लिया गया है।
इसके अलावा, पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त एवं सहायक पुलिस आयुक्त को विधीक्षित अधिसूचना के माध्यम से जिन अधिनियमों में परिभाषित कार्यपालक मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए जाने का भी निर्णय लिया गया है।
मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से आम जनमानस को और अधिक सुरक्षा व सहयोग प्राप्त होगा तथा पुलिस विभाग की कार्यशीलता व प्रभाविता में वृद्धि होगी। इसके पहले प्रदेश में लखनऊ नगर तथा जनपद गौतमबुद्धनगर के सफल प्रयोग के पश्चात यह व्यवस्था लागू की जा रही है।
मंत्रिपरिषद ने हाई-टेक टाउनशिप नीति के तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के कार्य क्षेत्र में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। नीति के तहत उच्च स्तरीय समिति की 13 अगस्त, 2019 को सम्पन्न बैठक में लिए गए निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सम्बन्धिी विकास प्राधिकरणों से प्राप्त आख्याओं के परिशीलन, सम्बन्धित विकासकर्ताओं तथा क्रेडाई, उत्तर प्रदेश के साथ हुई बैठकों में हुए विचार-विमर्श एवं फीडबैक के आधार पर अनेक होमबायर्स/निवेशकर्ताओं के हितों के संरक्षण तथा व्यापक जनहित में हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं को पूर्ण किए जाने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय समिति के कार्यक्षेत्र में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है।
हाई-टेक टाउनशिप की संशोधित नीति के तहत वर्तमान में क्रियाशील हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं के आकार को सम्बन्धित विकास प्राधिकरण के स्तर से परीक्षण कराते हुए हाई-टेक टाउनशिप के लिए निर्धारित न्यूनतम सीमा 1500 एकड़ से यथावश्यकता कम किए जाने हेतु उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने का निर्णय लिया है। विकासकर्ता द्वारा हाई-टेक टाउनशिप परियोजना की संशोधित/पुनरीक्षित डीपीआर शासनादेश जारी होने के 03 माह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी।
परियोजनाओं के पूर्ण करने के लिए यदि ऐसी भूमि, जो योजना के क्षेत्र के बाहर स्थित हो और विकासकर्ता के स्वामित्व में हो, लेकिन उक्त भूमि योजना की निरन्तरता में हो, को इस शर्त के साथ पुनरीक्षित परियोजना की डीपी0आर0 में सम्मिलित किए जाने पर विचार किया जा सकता है कि ऐसी भूमि का क्षेत्रफल पुनरीक्षित परियोजना के क्षेत्रफल से 10 प्रतिशत से अधिक न हो।
हाई-टेक टाउनशिप नीति की व्यवस्थानुसार उच्च स्तरीय समिति को चूंकि परियोजना अवधि में 10 वर्ष से अधिक विस्तार अनुमन्य किए जाने का अधिकार नहीं है, अतः ऐसी परियोजनाओं, जिनकी अवधि शेष नहीं है, उनको पूर्ण किए जाने हेतु केस-टू-केस आधार पर 80,000 रुपए प्रति एकड़ (अविकसित क्षेत्रफल पर) की दर के समय विस्तार शुल्क आरोपित करते हुए केवल 05 वर्ष की समयवृद्धि प्रदान किए जाने के लिए उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है।
इस निर्णय के क्रम में हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं के सम्बन्ध में उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का निराकरण सुनिश्चित कराने के लिए निर्णय लेने/मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने रबी विपणन वर्ष 2021-22 में लक्ष्य से अधिक गेहूं क्रय किए जाने के लिए पीसीएफ के पक्ष में 2800 करोड़ रुपए, पीसीयू के पक्ष में 700 करोड़ रुपए तथा यूपीएसएस के पक्ष में 300 करोड़ रुपए की शासकीय गारण्टी शासन द्वारा दिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में गैर शीरा पदार्थों से एथेनाॅल उत्पादन अनुमन्य किए जाने का प्रस्ताव मंजूरी प्रदान की। मंत्रिपरिषद ने 18 मार्च, 2016 के पूर्व निर्गत शासनादेश (जो केवल पेय मदिरा के परिप्रेक्ष्य में संगत है) को अवक्रमित करते हुए प्रदेश में गैर शीरा पदार्थों (अनाज/आलू/चुकन्दर/स्वीट सोरगम/सोरगम स्टेम आदि अन्य राॅ मैटेरियल) से दोनों प्रकार के अल्कोहल अर्थात पेय मदिरा के लिए एवं औद्योगिक प्रयोग के लिए के निमित्त एथेनाॅल उत्पादन अनुमन्य किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह भी निर्णय लिया गया है कि ऐसी अनुमन्यता प्रदान करते समय प्रदेश में अनाज की उपलब्धता को ध्यान में रखा जाएगा।
इसके तहत अनुमति के सम्बन्ध में प्राप्त आवेदन पत्रों को आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश द्वारा सम्यक परीक्षणोपरान्त अपनी संस्तुति के साथ शासन को प्रेषित किया जाएगा। आबकारी आयुक्त के स्तर से प्राप्त होने वाले सभी आवेदन पत्रों पर शासन स्तर पर विचार किए जाने के लिए अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, आबकारी विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा विचार किया जाएगा।
समिति द्वारा इकाई की आवश्यकतानुसार उसकी अधिष्ठापित क्षमता के निर्धारण, गैर शीरा पदार्थों (अनाज/आलू/चुकन्दर/स्वीट सोरगम/सोरगम स्टेम आदि)/राॅ मैटेरियल की उपलब्धता के आधार पर समस्त आवश्यक बिन्दुओं पर विचार करके अपनी संस्तुति उपलब्ध करायी जाएगी, जिस पर विभागीय मंत्री द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आसवनी की पेय/औद्योगिक क्षमता का निर्धारण भी समिति द्वारा किया जाएगा।
भारत सरकार की अधिसूचना 14 जनवरी, 2021 को अनुक्रम में एथेनाॅल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश राज्य में स्थापित की जाने वाली आसवनियों के लिए भूमि की व्यवस्था, इन्वायरन्मेन्टल एवं अन्य प्रकार के क्लीयरेंस शीघ्र प्रदान किए जाने के लिए आबकारी आयुक्त को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। भारत सरकार की अपेक्षानुसार उ0प्र0 में एथेनाॅल उत्पादन एवं ई0बी0पी0 के अन्तर्गत आपूर्ति को सुगम करने, अन्तर्विभागीय सामंजस्य स्थापित करने एवं उत्पादनकर्ताओं की कठिनाइयों का संज्ञान लेकर उन्हें दूर करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक स्टीयरिंग कमेटी गठित की जाएगी। भारत सरकार द्वारा अनाज से एथेनाॅल उत्पादन किए जाने के लिए जारी गाइडलाइन में समय-समय पर परिवर्तन करती रहती है। इस निमित्त अनाज से एथेनाॅल/अल्कोहल उत्पादन किए जाने के लिए निर्धारित व्यवस्था में संशोधन के लिए स्टीयरिंग कमेटी द्वारा ही विचार कर समुचित निर्णय लिया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से करा दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है।
इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने आईटीआर कंपनी लि0, बरेली की गाटा संख्या-277 स्थित 8,000 वर्ग मीटर भूमि को 12,500 रुपए प्रतिवर्ग मीटर की दर से कुल 10 करोड़ रुपए में आई0टी0 पार्क की स्थापना के लिए आई टी एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग,उत्तर प्रदेश शासन के पक्ष में विक्रय किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस के लिए स्टाम्प ड्यूटी एवं अन्य व्यय क्रेता आईटी एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा नियमों व शासनादेशों के आलोक में वहन किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिए आवास (शहरी) मिशन के तहत अफोर्डेबुल रेन्टल हाउसिंग काॅम्प्लेक्सेस योजना के प्रदेश में क्रियान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से प्रवासी शहरी गरीब मजदूरों के लिए किफायती रेेन्टल आवास एवं काॅम्प्लेक्सेस (एआरएचसी) की योजना का शुभारम्भ किया गया है। यह योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत क्रियान्वित की जाएगी। यह शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए किराये के आवास परिसरों के निर्माण, संचालन और रख-रखाव के लिए निजी/सार्वजनिक संस्थाओं की भागीदारी को बढ़ावा देगी।
एआरएचसी को सभी वैधानिक शहरों में 2011 की जनगणना और बाद में अधिसूचित कस्बों, अधिसूचित योजना क्षेत्रों और विकास/विशेष क्षेत्र विकास/औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के क्षेत्रों में लागू किया जाऐगा।
इस योजना में लाभार्थी शहरी प्रवासी/गरीब मजदूर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग के व्यक्ति, जिसमें फैक्ट्री में कार्य करने वाले मजदूर, प्रवासी मजदूर, शिक्षण संस्थाओं, सत्कार कार्याें से जुड़े लोग, पर्यटक एवं छात्र होंगे। योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विधवाओं और कामकाजी महिलाओं, दिव्यांग, अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित व्यक्तियों को वरीयता दी जायेगी, जो राज्य सरकार द्वारा प्राविधानित नियमों के अधीन होगी।
एआरएचसी के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार एवं आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
इसके उपरान्त राज्य सरकार द्वारा सम्बन्धित विभागों को सभी आवश्यक प्रोत्साहन/लाभ के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये जाएंगे। दिशा-निर्देश के अनुसार योजना की आवश्यकता को पूरा करने वाली कोई भी एजेन्सी भाग ले सकती है और वह नगर निकाय के माध्यम से आवेदन कर सकती है। एआरएचसी के तहत दोनों माॅडलों में स्वीकृति के लिए कोई भी प्रस्ताव आवास बन्धु के तकनीकी परीक्षण के बिना स्वीकार नहीं किया जाएगा।