कुम्भ मेला परिक्षेत्र/हरिद्वार। मेष राशि में सूर्य और कुम्भ राशि में बृहस्पति ग्रह के प्रवेश से उत्पन्न अत्यन्त दुर्लभ योग नक्षत्र मेष संक्रान्ति में बुधवार को उत्तराखंड के हरिद्वार और देहरादून जनपद के ऋषिकेश में आयोजित महाकुम्भ मेले में संन्यासियों और आम श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। मध्याह्न 12 बजे तक कुम्भ मेला परिक्षेत्र में स्नानार्थियों की संख्या 8 लाख 87 हजार 545 हो चुकी थी अर्थात लगभग नौ लाख।
मंगलवार/बुधवार रात्रि लगभग 12 बजे से ही श्रद्वालुओं का आगमन इस दुर्लभ योग में गंगा स्नान करने लगा था। सुबह 07 बजे तक आम श्रद्वालुओं ने हर की पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड में भी डुबकी लगाई। इसी मध्य मेला अधिकारी दीपक रावत, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मेला जनमेजय खण्डूरी ने मेष संक्रान्ति कुम्भ शाही स्नान पर ब्रह्म कुण्ड पहुंच कर महाकुम्भ के सकुशल सम्पन्न होने के लिये मां गंगा व अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की।
मेलाधिकारी दीपक रावत सुबह सात बजे से पहले ही मेला नियंत्रण भवन (सी0सी0आर0) अपने कार्यालय में पहुंच चुके थे। कार्यालय पहुंचकर उन्होंने अधिकारियों को महाकुम्भ के सम्बन्ध में कई दिशा-निर्देश दिये। उसके पश्चात वे शाही स्नान रूट का निरीक्षण करते हुये ब्रह्मकुण्ड पहुंचे। जहां उन्होंने महाकुम्भ के सकुशल सम्पन्न होने के लिये मां गंगा व अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना के समय श्रीगंगा महासभा के अध्यक्ष प्रदीप झा, अपर मेलाधिकारी डाॅ0 ललित नारायण मिश्र, हरवीर सिंह, सेक्टर मजिस्ट्रेट योगेश मेहरा, गंगा सभा के अन्य पदाधिकारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
पूजा-अर्चना करने के पश्चात मेलाधिकारी दीपक रावत हर की पैड़ी स्थित पुल नम्बर-1 पर पहुंचे, जहां पर उन्होंने आठ बजकर 56 मिनट पर शाही स्नान के लिये आ रहे सर्वप्रथम निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरी महाराज, अखाड़े के सचिव और मनसा देवी ट्रस्ट के सचिव महंन्त रवीन्द्र पुरी महाराज, आनन्द अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरि महाराज सहित अन्य सन्तों का स्वागत पुष्प वर्षा व पुष्प माला पहनाकर किया। इसके पश्चात सन्तों के हरकीपैड़ी ब्रहृमकुण्ड पहुंचने पर पूजा-अर्चना एवं विधि-विधान से शाही स्नान का शुभारम्भ हो गया।
पहले क्रम में निरंजनी और आनन्द अखाड़े के कुम्भ शाही स्नान के बाद जूना, अग्नि और आव्हान अखाड़े के बाद महानिर्वाणी, अटल अखाड़े का आगमन स्नान के लिये समाचार लिखे जाने तक हर के पैड़ी पर पहुँचा है।